रिपोर्ट /- अशोक अवस्थी
लहरपुर सीतापुर संदेश महल समाचार
- लहरपुर की स्थापना सन् 1370 में फिरोज़ शाह तुगलक 1351-1388 ईसवी ने बहराइच में सय्यद सलार की मज़ार की ओर प्रस्थान करते हुए करी थी। उस समय यहाँ कुछ कायस्थ और मुस्लिम परिवार बसाए गए। सन् 1400 के आसपास एक स्थानीय हिन्दू पासी शासक, लहरी पासी,ने यहाँ कब्ज़ा कर लिया और जगह का नाम तुग़लक़पुर से बदलकर लहरपुर रख दिया। उनके वंशज लगभग 18 वर्षों तक यहाँ पर नियंत्रण में रहे। सन् 1418 में कन्नौज के ताहिर गाज़ी नामक सिपहसालार ने यहाँ कब्ज़ा कर लिया। मुग़ल साम्राज्य के समय टोडरमल ने यहा 765 गाँवों का एक परगना संगठित करा और लहरपुर को उसका मुख्यालय बना दिया जिस से यह शहर तेज़ी से बढ़ा। सन् 1707 तक मुग़ल नियंत्रण रहा, लेकिन उस वर्ष औरंगज़ेब की मृत्यु के साथ-साथ एक स्थानीय गौर राजपूत सिपहसालार, राजा चंद्र सेन ने सीतापुर पर आक्रमण करा। तब से लेकर सन् 1858 में ब्रिटिश राज के आरम्भ तक इन्हीं गौर राजपूतों का कब्ज़ा रहा।
महाराजा टोडरमल का जन्म 10 फरवरी 1503 में लहरपुर कस्बे में हुआ था। पिता का नाम लल्लूमल व माता का नाम श्याम कुमारी था। उनकी शासन चलाने की कुशल राजनीति से प्रभावित होकर बादशाह अकबर ने उन्हें अपने नौ रत्नों में प्रमुख स्थान दिया था।
बताते चलें कि लहरपुर क्षेत्र में कई ऐसे ऐतिहासिक और प्राचीन स्थल है जिनका संबंध प्राचीन काल से आम जनमानस से रहा है जिसमें पांडवों की माता कुंती द्वारा स्थापित मनकामेश्वर सूर्य कुंड अंग्रेज अधिकारी पीसी डन द्वारा बनवाया गया प्रसिद्ध जंगली नाथ मंदिर नबीनगर की रानी पृथ्वीपाल कुवरि बनवाया गया उत्तर भारत का सबसे विशाल मंदिर शिवाला नबीनगर माने जाते हैं यहां पर हम जिक्र कर रहे हैं प्रसिद्धि जंगली नाथ मंदिर का जब अधिकतर रियासतें अंग्रेजों के अधीन थी सीतापुर का स्पेशल मैनेजर पीसी डन यहां का सर्वे सर्वा था जो महमूदाबाद के बाद सबसे बड़ी रियासत नबीनगर स्टेट का प्रबंधक था उसी समय ब्रिटिश हुकूमत पर फरमान आया आप यहां आए और युद्ध में भाग लें मिस्टर डन अत्याचारी और विलासिता में डूबा शासक था वह यहां के वैभव को छोड़कर जाना नहीं चाहता था तभी तत्कालीन राज्य के प्रमुख लोगों ने उससे कहा कि आप जंगली नाथ जाकर प्रार्थना करें वह सबकी सुनते जरूर हैं लोगों की बात सुनकर वह जंगल में विराजमान देवेश्वर के पास गया प्रार्थना की और कहा हमारा ट्रांसफर रुक जाए तो हम यहां पर भव्य मंदिर और तीर्थ का निर्माण करेंगे संयोग से दूसरे दिन ब्रिटेन से फरमान आता है कि आप जहां है वहीं रहे इस आदेश को पाकर उसने भव्य मंदिर और तीर्थ के साथ यात्रियों के रुकने हेतु सराय का निर्माण कराया जो 19 सौ 18 से 19 सौ 21:00 तक चलता रहा वैसे वहां पर घोर जंगल था यहां पर प्राचीन काल पर ही श्रावण मास के रक्षाबंधन पर्व पर बहुत बड़ा मेला होता है तथा श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है यह मंदिर जनपद मैं श्रद्धा और सम्मान से देखा जाता है।