कॉन्वेंट विद्यालय की तर्ज पर परिषदीय विद्यालयों की पढ़ाई का सपना रहा अधूरा

रामकुमार मौर्य
संदेश महल समाचार

रामनगर बाराबंकी। कॉन्वेंट विद्यालय के अनुसार परिषदीय विद्यालयों को चलाने का सपना सरकार का ज्यों का त्यों रखा रह गया ।सरकार ने परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा पा रहे बच्चों को कॉन्वेंट विद्यालयों के बच्चों के अनुसार शिक्षा देने का सपना आज तक साकार नहीं हो पाया। जबकि शासन प्रशासन द्वारा इसकी घोषणा कई महीने पूर्व कर दी गई थी और निर्देश दिया गया था कि परिषदीय विद्यालयों के निकट चल रहे कॉन्वेंट स्कूलों के बच्चों के साथ एक दिन का समय इन सरकारी बच्चों को दिया जाए और अध्यापक स्वयं कॉन्वेंट स्कूलों में जाकर बच्चों की पढ़ाई का आकलन करके परिषदीय विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों को उसके अनुसार शिक्षा दे। जिससे आगे चलकर परिषदीय विद्यालयों के बच्चे भी कॉन्वेंट स्कूलों के बच्चों के अनुसार अपने बौद्धिक ज्ञान को बढ़ा सकें। लेकिन आज तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया। क्योंकि सरकारी विद्यालयों में कार्यरत अध्यापक अपने को बहुत बड़ा योग्य समझते हैं। उनके अंदर यह भावना है की हम प्रशिक्षित अध्यापक हैं और अच्छा खासा वेतन उठा रहे हैं। हमें कॉन्वेंट स्कूलों के अध्यापकों व बच्चों से क्या सीखना है। क्योंकि कान्वेंट स्कूलों में कार्यरत अध्यापक प्रशिक्षित नहीं है। इसलिए हम अपने बच्चों को इन विद्यालयों में क्यों ले जाएं। लेकिन सरकार इन अध्यापकों को इतना अधिक वेतन देती है जिसमें 10 अध्यापक प्राइवेट में पढ़ा सकते हैं उसने जरूर सोचा की प्राइवेट अध्यापकों में कोई ऐसी कला जरूर है की जिसके बल पर इन स्कूलों के बच्चे उच्च स्तर पर नौकरी करते हैं। बड़े बड़े अधिकारी बनते हैं ।इसलिए क्यों ना इनके अनुभवों को साझा किया जाए और परिषदीय विद्यालयों और कॉन्वेंट स्कूलों के बच्चे मिलकर देश को उच्च शिखर पर ले जाने का काम करें। अगर कॉन्वेंट स्कूलों में बच्चों को कुछ अलग हटकर शिक्षा नहीं दी जाती है तो क्यों सरकार इनके साथ परिषदीय के विद्यालयों के बच्चों को महीने में एक दिन का समय क्यों देनेकोकहती। प्राइवेट मान्यता प्राप्त जितने भी विद्यालय संचालित हैं वह सरकार की देखरेख में है। भले ही इन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को उनके जीवन यापन के लिए कम मानदेय मिलता हो। लेकिन इन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक गण जी जान से मेहनत कर बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देते हैं। प्रशिक्षित तो नहीं है फिर भी बच्चों के प्रति समर्पण की भावना जरूर है ।इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे डॉक्टर, मास्टर, इंजीनियर ,पुलिस अधिकारी तथा अच्छे पदों पर आज भी कार्य है। परिषदीय विद्यालयों में आज बच्चों को सभी सुविधाएं दी जाती हैं ।जैसे भोजन, ड्रेस ,वजीफा जैसी अनेक योजनाओं का लाभ मिल रहा है। बैठने व पढ़ने के लिए सारी सुविधाएं हैं ।फिर भी इन विद्यालयों में बच्चों को जो शिक्षा मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही है ।जबकि इन विद्यालयों में कार्यरत अध्यापक योग्य हैं ।वह चाहे तो बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दे सकते हैं। लेकिन यह लोग अपने कर्तव्य का निर्वाहन सही ढंग से नहीं करते हैं। जबकि बच्चों की पढ़ाई के लिए सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है। फिर भी देश के नौनिहालों को उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। आज भी सबसे ज्यादा अभिभावक अपने बच्चों को कॉन्वेंट जैसे स्कूलों में प्रवेश दिला रहे हैं ।जबकि वहां पर हर महीने उन्हें शिक्षण शुल्क देना पड़ता है और विद्यालय द्वारा शिक्षा के बजाय उन्हें कुछ भी लाभ नहीं मिलता है। फिर भी अपने बच्चों को अच्छे से अच्छे स्कूलों में दाखिला दिला कर उनके भविष्य को सवारने में अभिभावक गण लगे हुए हैं।

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