सुनीत मिश्रा सूरतगंज बाराबंकी संदेश महल एक चर्चित मूवी में बहुत ही फेमस डायलॉग है। “हवेली” पर आ जाना यह तो बात फिल्मी दुनिया की है।अब बात करते हैं, हकीकत की दुनिया की, जहां फोन काल द्वारा एक जिम्मेदार अफसर से हुई बातचीत के दौरान जबाब में कल आकर रिपोर्ट ले लेना।उत्तर प्रदेश के जनपद बाराबंकी अंतर्गत सूरतगंज खंड विकास अधिकारी देवेन्द्र प्रताप सिंह से अस्थाई गौवंश आश्रय स्थल रिछला में मर रहे मवेशियों सहित अन्य पहलुओं पर “संदेश महल” से हुई बातचीत में खंड विकास अधिकारी ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि गौवंश आश्रय स्थल की स्थिति सामान्य है। कुल कितने केयर टेकर है। जितने होना चाहिए उतने है,जानकारी नहीं है। कुल मवेशियों की संख्या रिपोर्ट लेकर नहीं घूमता हूं।कल आइए रिपोर्ट ले लेना। साथ ही एक और पक्ष है।मर रहे मवेशियों की जानकारी चाही गई, तो महोदय साफ मुकर गए। कोई ऐसी घटना नहीं हुई है। एक और पहलू है। किसान वायो वृद्ध मवेशियों को ही गौशाला भेजता है। रिपोर्ट भेज दी गई है। कल आकर रिपोर्ट ले लेना,बात समाप्त।गौरतलब है कि गौ वंश आश्रय स्थल रिछला में सब कुछ सामान्य है।यह बयान ब्लाक के जिम्मेदार अफसर का कहना है। जिंदा तड़प रहे मवेशियों की आंखों को चील कौवे नोचकर खा गए इसकी जानकारी ही नहीं है।जो मवेशी मर रहे हैं,उन्होंने अपनी उम्र पूरी कर ली। रिपोर्ट कल आकर ले लेना। यहां तो मानवीय सरोकार संवेदना का कोई मोल नहीं है।सारे कामों की रिपोर्ट तैयार है। कहने का आशय यह है कि सिर्फ कागजी घोड़ा दौड़ाने में ज़िम्मेदारों को महारथ हासिल है।साथ ही यह भी जानें क्या है हकीकत मर चुके मवेशियों की बात तो दूर जिंदा तड़प रहें मवेशियों की दुर्गति कुछ इस तरह होती है कि जिंदगी और मौत के फासले से जूझ रही एक जिंदा गाय की आंखों को चील कौवे नोंच-नोंच कर खा गए। और जिम्मेदारों की आंखें इसको नहीं देख सकी। सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि जिंदगी की जद्दोजहद से जूझ रहे कुछ मवेशियों की मौतें भी हो गई है।हो सकता है कि इसकी भी रिपोर्ट तैयार कर ली गई हो। अस्थाई गौवंश आश्रय स्थल रिछला में यदि कुछ होता है तो सिर्फ होती है तैयार रिपोर्ट।