चुनाव की सरगर्मियां तेज दावेदार मतदाताओं को रिझाने के लिए कर रहे जनसंपर्क

रामकुमार मौर्य
बाराबंकी संदेश महल समाचार

रामनगर बाराबंकी। नगर पंचायत रामनगर में चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं ।अध्यक्ष से लेकर सभासद पद के प्रत्याशी नगर के हर मोहल्ले में घूमना शुरू कर दिया है। रामनगर का चुनाव बड़ाही दिलचस्प होगा ।क्योंकि अभी जनता ने अपने मन की बात को खोला नहीं है। इसलिए सभी प्रत्याशी असमंजस में पडे हुए हैं ।सेवा की भावना अगर देखी जाए तो अध्यक्ष पद पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे विजय मौर्या समाज सेवा में सबसे आगे हैं। चाहे मोहर्रम हो या ईद का त्यौहार फिर दुर्गा जागरण सभी कार्यक्रमों में हिंदू मुस्लिम का भेदभाव मिटाकर कंधे से कंधा जोड़कर चलने वाला कस्बा रामनगर में एक ही व्यक्ति है ।यह बात हम स्वयं नहीं कह रहे हैं ।नगर निवासियों की बात को हम जनता के सामने उजागर कर रहे हैं। श्री मौर्या दुर्गा शोभायात्रा व मोहर्रम के समय अपने आवास परनिजी खर्च पर सैकड़ों लोगों के सहयोग से बूंदी और ठंडा पानी की व्यवस्था हर वर्ष करते हैं ।यह काम कस्बा रामनगर का कोई भी व्यक्ति नहीं कर सकता है। क्योंकि इनके अंदर कोई भेदभाव नहीं है। इसलिए इन्हें हिंदू मुस्लिम सभी जाति के लोग दिल से मानते हैं तथा सपा पार्टी के पुराने कार्यकर्ता थे लेकिन यहां पर जाति और धर्म के दबाव में वर्तमान विधायक ने इन्हें टिकट ना दिला कर मुस्लिम को अपना उम्मीदवार बनाया है ।जबकि यहां के निवासियों का कहना है की जो व्यक्ति सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ रहा है वह अभी हाल ही में सपा में शामिल हुआ है। जबकि काफी दिनों से विजय मौर्या सपा के सक्रिय कार्यकर्ता थे और इन्हें सपा द्वारा टिकट दिया जाना चाहिए था। अगर इसी तरह नेता लोग नगर निकाय चुनाव में हस्तक्षेप करते रहेंगे तो आने वाले समय में भाजपा जैसी दशा होगी। इसे कोई रोक नहीं पायेगा ।क्योंकि इतना बड़ा नगर पंचायत यहां पर भाजपा से कोई भी व्यक्ति सिंबल लेने को तैयार नहीं था। जब एक दो लोग सामने आए तो कई लोगों ने अपना अपना हाथ बढ़ाया लेकिन भाजपा में होते हुए किसी नए व्यक्ति को टिकट नहीं दिया गया। क्योंकि वर्तमान समय में कांग्रेश और बसपा का गुणगान गाने वाला कोई व्यक्ति नगर पंचायत में नजर नहीं आ रहा है। अगर राजनीतिक पार्टियां अपने दिमाग से काम नहीं लेंगीऔर पुराने कार्यकर्ताओं को किनारे लगाती रहेंगी तो आने वाले समय में उनके साथ चलने वाला कोई व्यक्ति नहीं मिलेगा। क्योंकि राजनीतिक पार्टियों की रीढ पुराने कार्यकर्ता वग्रामीण जनता है।

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