जिसकी मति सुधर जाती है, उसकी गति सुधर जाती है -श्रद्धेय चंद्रशेखर महाराज

रिपोर्ट
मुकेश कुमार यादव
सिरौलीगौसपुर बाराबंकी संदेश महल समाचार

सुख एवं आनंद की प्राप्ति कथा प्रांगण एवं प्रभु के दरबार में पहुंचने पर होती है। धन-संपदा, घर, मोटर-गाड़ी भौतिक सुख है। आत्मा के सुख के लिए भगवान की शरण लेनी पड़ेगी। जो सद्गुरु का स्मरण करते हैं, उनको सद्गुरु परमात्मा से मिलाते हैं। जिसकी मति सुधर जाती है उसकी गति सुधर जाती है।मति को सुधारना है तो सत्संग और कथा परिसर में पहुंचकर भगवान की दिव्य कथाओं का रसपान करें। विचार निन्दूरा झेत्र के ग्राम आलमपुर पोस्ट ददेरा बाराबंकी मे चल रही पंच दिवसीय भव्य श्रीराम कथा का रसपान कराते हुए प्रथम दिवस कथाव्याश श्रद्धेय चंद्रशेखर यादव जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि इस संसार में मुर्दे दो प्रकार के होते हैं एक मरा हुआ व्यक्ति मुर्दा कहलाता है और एक जिंदा व्यक्ति भी मुर्दे के समान है। जो प्रभु का स्मरण नहीं करते, जिनके अंदर से राम नहीं निकलता वे जिंदा मुर्दे के समान हैं। जिनके अंदर भक्ति ना हो वह भी जिंदे मुर्दे के समान हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को धर्म से जोड़ दो, धर्म से जुड़े व्यक्ति के सब कार्य प्रभु करते हैं। सेवा का जीवन में बड़ा महत्व है। सद्गुरु के चरणों की रज जिसको मिल जाए, उसका जीवन बदल जाता है। गुरु-शिष्य की महिमा अपरंपार है।
कथा प्रांगण में आराध्य प्रभु श्रीराम दास हनुमान का ध्वज लहरा रहा था। आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।

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