रिपोर्ट
रमेश कुमार तिवारी
प्रयागराज संदेश महल समाचार
गंगा,यमुना और विलुप्त सरस्वती के संगम किनारे मकर संक्रांति स्नान पर्व पर पुण्य की डुबकी के साथ माघ मेले का शुभारंभ हो गया। घने कोहरे के बीच पूस की ठिठुरती भोर में संगम स्नान के लिए जुटे श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बना। अमृतमयी संगम की धारा में लाखों श्रद्धालुओं ने गोता लगाकर तन-मन को धन्य किया। देर शाम तक मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम जारी रहा।
वर्ष के ग्रहों के राजा सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही स्नान का पुण्यकाल आरंभ हो गया। इससे पहले भोर में ही एक किमी लंबा संगम घाट आस्थावानों की भीड़ से खचाखच भर गया। काली सड़क और लाल सड़क से लोग कतारबद्ध होकर झोला, गठरी लेकर संगम की ओर बढ़ते दिखाई देते रहे।
काली सड़क तिराहे से ही बारिकेडिंग कर संगम जाने का मार्ग वन-वे कर दिया गया था। कोई बुजुर्ग माता -पिता को स्नान कराकर पुण्य बटोरने निकला तो कोई पत्नी-बच्चों को लेकर। भीड़ में बिछुड़ने की चिंता की वजह से एक-दूसरे का हाथ थाम कर भी लोग चलते रहे, ताकि साथ न छूटने पाए। पौ फटने के साथ महावीर पांटून पुल से लेकर अकबर के किला स्थितत वीआईपी घाट तक एक किमी लंबे घाट के सामन बनी सर्क्युलेटिंग एरिया में कहीं भी खड़ा होने की जगह नहीं बची।
किसी के कपड़े खोते रहे तो किसी का झोला। लोग बिछड़ते और उसी घाट पर मिलते भी रहे। मकर संक्रांति के स्नान के साथ ही अन्न, वस्त्र और खिचड़ी का भी दान संतों-भक्तों ने खूब किया। संगम के साथ ही पांच सेक्टर में बसे माघ मेले में छह घाटों पर स्नान का उत्सव छाया रहा। ओल्डजीटी, गंगोली शिवाला के अलावा त्रिवेणी मार्ग से लगे रामघाट पर भी संगम के रूप में पुण्य की डुबकी लगाई गई।
कोविड प्रोटोकॉल के बीच प्रथम स्नान पर्व की डुबकी लगाई गई। इसके लिए हर सेक्टर में बने कोविड-जांच केंद्रों पर श्रद्धालुओं की जांच कराई जाती रही। स्वास्थ्य कर्मियों की सर्वे टीम ने दिन भर सेक्टरवाइज अभियान चलाया। लाउडस्पीकर से लोगों मास्क लगाकर मेले में चलने और लगातार हाथ सैनिटाइज करने के लिए प्रेरित किया जाता रहा। शिविरों में संतों-कल्पवासियों को कोरोना निगेटिव का प्रमाण पत्र भी दिया जाता रहा।
मकर संक्रांति पर भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। खासतौर से भीड़ प्रबंधन को लेकर सुगम यातायात पर पूरा जोर रहा। इस वजह से मेला क्षेत्र में चार पहिया वाहनों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया था। पुलिस की सख्ती की वजह से पांटून पुलों से लेकर संपूर्ण मेला क्षेत्र के मार्गों को पैदल पथ के रूप में ही इस्तेमाल किया जा सका।
मेले के कड़े इंतजाम में
5000 से अधिक सुरक्षा बलों की माघ मेला में की गई तैनाती
100 सीसीटीवी कैमरों से मेला क्षेत्र की शुरू हुई निगरानी
05 स्थानों पर वाहनों की पार्किंग
06 पांटून पुलों से मेला क्षेत्र में प्रवेश
05 घाटों पर लगी पुण्य की डुबकी