मनरेगा में बिल फीडिंग के बाद एफटीओ डिलीट करने का चल रहा खेल

रिपोर्ट–घनश्याम त्रिपाठी
संतकबीरनगर,संदेश महल समाचार

खेल पर पर्दा डालने के लिए कई ब्लॉकों में पीओ लॉगिंग से हटाए जा रहे एफटीओ

संतकबीरनगर।जिले के कई विकास खंडों में मनरेगा के जिम्मेदारों की बीते वित्तीय वर्ष में की गई करस्तानी अब उन्हीं के जी का जंजाल बन गई। मनरेगा में ‘नजराने की रस्म’ निभाते निभाते साहबों ने धड़ल्ले से पक्की परियोजनाओं की वित्तीय स्वीकृति दे डाली। पूरी निष्ठा से कीमत चुका कर पक्की परियोजनाओं का कार्य पूरा करा कर ग्राम पंचायतों ने भी बिल बाउचर की फीडिंग के साथ एफटीओ भी फीड करा कर भुगतान का इंतजार करने लगीं। जैसे ही वित्तीय वर्ष पूरा हुआ तो पीओ लॉगिंग पर फीड हुए एफटीओ ब्लॉक में 60 :40 के अनुपात को रौंदने लगे। किसी ब्लॉक में 7 करोड़ तो किसी ब्लॉक में 2 से 3 करोड़ तक की अनुपात से अधिक की फीडिंग सो करने लगी। हालात देख लिमिट से अधिक डोज डकार गए साहबों को जब पेट फटने का खौफ सताया तो मनरेगा के इतिहास में पहली बार एफटीओ डिलीशन का कार्य गुपचुप तरीके से शुरू कर दिया गया। शासन के हंटर की खौफ के चलते लगातार एफटीओ हटाए जाने लगे। अपनी अपनी ग्राम पंचायतों के एफटीओ डिलीट होता देख ग्राम पंचायतें भी हैरत में पड़ गई। सूत्रों की मानें तो इसमें जिले का सदर ब्लॉक खलीलाबाद शिखर पर है। जिले के आला पर्यवेक्षणीय अधिकारियों की नाक के नीचे के ब्लॉक में ही सर्वाधिक एफटीओ पीओ लॉगिन से डिलीट किए जाने की चर्चा तेज है। इसके आलावा बघौली, सेमरियावा और पौली जैसे ब्लॉक में भी इस खेल की चर्चा तेज है। नाथनगर के साहब ने तो फीडिंग पर रोक लगाकर अपनी इज्जत बचा लिया। हालंकि रोक लगाने के चलते उन्हें ग्राम प्रधानों की नाराजगी भी झेलनी पड़ी। सवाल यह है कि जिन ब्लॉकों में 60 :40 के अनुपात की फीडिंग में धज्जी उड़ी उसके लिए जिम्मेदार कौन है? आखिर जिम्मेदारों ने किस लालच में अनुपात से अधिक स्वीकृति दिया? सुपरविजन की जिम्मेदारी संभालने वाले आला अधिकारियों की उनके अधीनस्थों की कारगुजारियों पर नजर क्यों नही पड़ी? साहबों के इस कारनामे के चलते ग्राम प्रधानों को लाखों का चूना तो लगा ही साथ ही उनकी परियोजनाएं अब नए वित्तीय वर्ष की संपदा बनने की राह पर चल पड़ीं। इस संबंध में पूछे जाने पर सीडीओ संत कुमार ने कहा कि मामले की पूरी जांच कराई जायेगी। जांच में दोषी पाए जाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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