रिपोर्ट
वंदना जायसवाल
लखीमपुर-खीरी संदेश महल समाचार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही अपने मन की बात कार्यक्रम में खीरी में केले के तने से रेशे बनाने के काम में जुटी महिलाओं की तारीफ की हो, लेकिन इस काम से जुड़ी महिलाओं को लापरवाह सिस्टम की वजह से अब तक अपनी मजदूरी तक नहीं मिल सकी है।
सुबह 11 बजे प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने अपने हर महीने के अंतिम रविवार को होने वाली ‘मन की बात’ कार्यक्रम में लखीमपुर खीरी का जिक्र्त करते हुए कहा कि कोविड के दौरान लखीमपुर खीरी में एक अनोखी पहल हुई है। महिलाओं को केलों के बेकार तने से फाइबर बनाने की ट्रेनिंग देने का काम शुरू किया गया है। वेस्ट से बेस्ट करने का मार्ग।
पीएम मोदी ने कहा कि केले के तने को काटकर मशीन की मदद से बनाना फाइबर तैयार किया जाता है, जो जूट या सन की तरह होता है, जिससे हैंडबैग, चटाई, दरी और कितनी ही चीजें बनाई जाती हैं। इससे एक तो फसल के कचरे का इस्तेमाल शुरू हुआ वहीं दूसरी तरफ गांव की बहनों और बेटियों को आय का एक साधन मिला है।पीएम मोदी भले ही गांव की बहन बेटियों को रोजगार मिलने की बात कहकर महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने और उनकी तरक्की की बात कह रहे हों, लेकिन इस रोजगार से जुड़ी महिलाओं को लापरवाह सिस्टम की वजह से अब तक अपनी मजदूरी भी नहीं मिली है।दिसंबर में शुरू हुई बनाना फाइबर इकाई पिछले साल दिसंबर 2020 में जनपद के ईसानगर ब्लॉक के समैसा गांव में एनआरएलएम की तरफ से मां सरस्वती ग्राम संगठन के अंतर्गत बनाना फाइबर इकाई शुरू की गई थी। 25 महिलाओं ने संगठन से जुड़कर काम शुरू किया था, जिसकी प्रमुख पूनम देवी हैं। संगठन की प्रमुख पूनम देवी के पति प्रमोद राजपूत बताते हैं कि बीडीओ अरुण सिंह और ब्लॉक मिशन मैनेजर ओमकार मौर्य ने यह काम शुरू करवाने में उनकी काफी मदद की।
महिलाओं ने सीएलएफ से कर्ज लेकर सूरत से मशीनें मंगवाईं। उन्होंने बताया कि 25 दिसंबर से कम शुरू किया गया था, जो कि फरवरी 2020 तक चला। उन्होंने बताया कि एक शिफ्ट में नौ महिलाएं लगती हैं। आठ घंटे की शिफ्ट होती है, जिसमें 200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी दी जाती है। प्रमोद बताते हैं कि जब गुजरात से मशीनें मंगाई गई थीं तो उस वक्त दो क्विंटल फाइवर सप्लाई का ऑर्डर मिला था। 200 रुपये प्रति किलो के हिसाब से अब तक एक क्विंटल रेशा गुजरात भेजा जा चुका है। अभी एक क्विंटल जाना बाकी है।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा बीडीओ अरुण सिंह और सीडीओ अरविंद सिंह की मदद से ऑनलाइन बाजार भी तलाशा, जिसके तहत कुछ ऑनलाइन कंपनियों से भी आर्डर मिला है, जहां 300 रुपये प्रति किलो की दर से कीमत मिलेगी। अभी जीएसटी नंबर नहीं मिला है। बताया कि उम्मीद है इस बार हो जाएगा और अगस्त से शुरू हो रहे सीजन से अच्छी कमाई हो सकेगी।
मां सरस्वती ग्राम संगठन की महिलाओं को जब बताया गया कि उनके काम की पीएम मोदी ने तारीफ की है, तो उन्होंने एक स्वर में कहा कि बात तो तब है जब उनकी मजदूरी का पैसा उन्हें मिले। इस पर संगठन की प्रमुख और उनके पति ने बताया कि 21 हजार रुपये का पेमेंट खाते में आया है, लेकिन इलाहाबाद बैंक के मैनेजर के पास कई बार दौड़ने के बावजूद बैंक ने चेक बुक ही जारी नहीं की है। बिना चेक के कैसे भुगतान करें।
संगठन से जुड़ी केशकली का कहना है कि पीएम मोदी ने तारीफ की, अच्छी बात है, लेकिन जब चार पैसे हाथ में आएं तब कोई बात बने। तीन दिन काम किया, लेकिन अब तक मजदूरी नहीं मिली। समूह से स्वरोजगार के लिए सिर्फ दस हजार रुपये मिले हैं।
संगठन से जुड़ीं और केले से रेशा निकालने के काम में लगी रहीं पार्वती देवी का भी यही कहना है कि उन्हें भी काम के बदले मजदूरी नहीं मिली है। काम तो तब अच्छा है जब पूरा पैसा और समय पर मिले। आश्वासन से गृहस्थी कैसे चलेगी। संगठन की प्रमुख पूनम देवी बताती हैं कि पीएम मोदी ने जो तारीफ की है। निश्चित ही उससे हौसला बढ़ा है। जैसे जैसे और आर्डर मिलेगा तो हैंडलूम का काम शुरू किया जाएगा।कपीएम मोदी ने हौसला बढ़ाया है, खुशी हुई है। जहां तक महिलाओं को पैसा न मिलने की बात है तो मेरे और सीडीओ द्वारा सांकेतिक चेकबुक दी गई है।