मैं एक दम अकेली हूँ? इसकी वजह तुम हो…….?

प्रस्तुतकर्ता – संदेश महल समाचार

भावनाएं खत्म हैं अहसास बचे हैं,
मैं एक दम अकेली हूँ!
शायद तुम्हें पढ़कर अच्छा न लगे कि
इसकी वजह तुम हो…….

हा सही पढ़ रहे हो वजह तुम हो…
इसे जज्बात समझो या गुस्से में लिखा तर्पण
फिर भी वजह तुम ही हो………
मुझे नजरअंदाज किया गया हम अपनों में वर्चस्व का प्रभाव थे अब थके हारे विछिप्त दुर्भाग्य हैं,
वजह तुम हो…….

चलो हटाओ..
क्या करोगे सब कुछ जान कर,
मेरे हिस्से में क्या बचा इसका आकलन जज्बातों से बेईमानी होगी..
आओ तुम्हें फायदा गिनाते हैं,
अरे हाँ अब मोहब्बत में फायदा ढूढ़ना भी बेईमानी है!

तुम्हीं बताओ क्या लिखूँ..
जो हम निभा न सके वो वादे लिखूं
अपनी हार लिख दूँ..
ख़ुद को गद्दार लिखूं दूँ..

हर विरह सह गए चुप थे चुप हैं कहो तो खुद को
खुद्दार लिख दूँ…..

ये भी अपराध होगा खुद को खुद से लिखना…..

चलो चुप रहते हैं..
मौन वेदना को सहने की शक्ति देता है..
हम मौन रहेगें…
तुम स्वतंत्र रहना!

Fb सम्राज्य की सर्च लिस्ट में सबसे ऊपर
नाम था तुम्हारा…

इस नाम को अपने राशन कार्ड से जोड़ना चाहते थे…
उसे आधार में w/0 का लिंक भी देते…
लेकिन मिलना देर से हुआ तुमसे….!

अब कुछ मुमकिन नहीं..
वजह तुम हो …
हमें मिली क्यों इतना देर से ??
जब नियति को कुछ मंजूर नहीं..
मेरे बस में जो है वो करती हूँ मैं सिर्फ तुम्हारे लिए…

देखो आज लिखती हूँ मैं!

और वजह तुम हो हाँ तुम…!!

साभार फेसबुक

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