विधानसभा चुनाव फतेह को लेकर कार्यकर्ता खोल रहे पिटारा इनके लिए नहीं महामारी

 

रिपोर्ट
रामकुमार मौर्य
संदेश महल समाचार

विधानसभा चुनाव को लेकर घमासान मचा हुआ है। सभी पार्टी के लोग कार्यकर्ताओं के साथ ग्रामीण अंचलों से लेकर कस्बा शहर के गली कूचों में पहुंचकर अपनी उपलब्धियों का पिटारा खोल रहे हैं, और आवाम को भरोसा दिलाते हैं कि हम आपके दुख दर्द में हमेशा शरीक रहेंगे एक बार मौका देकर भारी मतों से विजई बनाएं, जिसका एजेंडा भ्रमण कर जनता के बीच रख रहे हैं।

कोरोना वायरस के साथ-साथ न्यू वैरिएंट ओमीक्रोन के मामलों में बढ़त सभी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। सरकार ने रात 11:00 बजे से सुबह 5:00 बजे तक नाइट कर्फ्यू लगा दिया है। जिससे लोग सतर्क रहे हैं।
साथ ही इस खतरे के बीच भारत निर्वाचन आयोग की चुनावी तैयारियां भी जोरों पर हैं।
भारतीय निर्वाचन आयोग और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक अहम बैठक में स्वास्थ्य विभाग की ओर से चुनावी राज्यों में ओमीक्रॉन के फैलने से जुड़ी रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंपी गई। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने मीडिया को बताया कि, चुनाव आयोग सभी हालातों का जायजा लेता है, जिसमें राजनीतिक हालात, सुरक्षा व्यवस्था और मेडिकल हेल्थ भी शामिल है।
बैठक में स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने देश में और विशेष रूप से उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में कोविड की स्थिति पर लगभग एक घंटे तक निर्वाचन आयोग को जानकारी दी।आयोग ने स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर स्थिति का आकलन किया।
उत्तर प्रदेश में 83 फीसदी और पंजाब में 77 फीसदी लोगों को कोरोना की पहली डोज लग चुकी है। इसके अलावा गोवा और उत्तराखंड में शत प्रतिशत लोगों को कोरोना के टीके की पहली डोज लग चुकी है, मणिपुर में 70 फीसदी लोगों को कोरोना का पहला टीका लगाया जा चुका है।

चुनाव को लेकर गांव गांव में बैठकें हैं,सभाएं हो रही हैं।इन्हें महामारी से कुछ भी लेना देना नहीं है और न ऐसी सभाओं में कोरोना का कोई प्रभाव पड़ता है क्योंकि महामारी का प्रभाव केवल जनता की भीड़ भाड़ व रेलवे स्टेशनों बस अड्डा तथा शादी विवाह मुंडन संस्कार और रात के समय में ही दिखाई देता है क्योंकि दिन में उजाला होने के कारण महामारी का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और ना ही शासन प्रशासन द्वारा होने वाले कार्यक्रमों पर भी इसका असर नहीं होता है केवल इसका प्रभाव स्कूली बच्चों पर ज्यादा पड़ता है क्योंकि स्कूलों में महामारी के सारे नियम लागू किए जाते हैं अगर इसका प्रभाव प्रदेश में ज्यादा बढ़ता है तो सभी स्कूल कॉलेज बंद कर दिए जाते हैं तथा जनता की रोजमर्रा की जरूरतों पर भी प्रतिबंध लग जाता है अगर किसी घर में कोई बीमार हो जाता है तो उसे सरकारी अस्पताल के डॉक्टर देखना मुनासिब नहीं समझते हैं बीते 2 वर्षों से इस महामारी ने पूरी दुनिया में अपने पैर पसार रखे हैं जिसके चलते आम जनता परेशान हैं महामारी के चलते रेलवे विभाग में किराया दुगना हो गया रोजमर्रा की वस्तुएं महंगी हो गई बच्चों की पढ़ाई इतनी महंगी हो गई थी अभिभावक के पास पढ़ाई के लिए पैसे की कोई व्यवस्था नहीं रह गई शिक्षा का अस्तर इतना गिरा दिया गया कि बिना परीक्षा दिए विद्यार्थी गण उत्तीर्ण हो गए अगर इसी प्रकार शिक्षा का स्तर गिरता रहेगा तो इन नौनिहालों का भविष्य कैसा होगा बहुत से लोग बेरोजगार हो गए कुरौना कॉल बहुत सी जाने चली गई जिनके संबंध में कोई पूछने वाला नहीं है जिनके घर के लोग मर गए उन पर क्या बीत रही होगी उनके परिवार का भरण पोषण कौन करेगा यह विचार करने का प्रश्न है आज हमारे देश के नन्हे मुन्ने बच्चे शिक्षा के अभाव में इधर उधर भटक रहे हैं उनका कोई हाल-चाल पूछने वाला नहीं है यह बच्चे दर-दर भटक रहे हैं पढ़ाई के नाम पर सरकारी व प्राइवेट कॉलेजों में इतनी अधिक फीस है कि लोग अपने बच्चों का कैसे दाखिला करा सकें जिसके चलते ग्रामीण अंचल के बच्चे ज्यादा परेशान हैं क्योंकि इनके अभिभावकों के पास इतना पैसा नहीं है की अच्छे स्कूल में बच्चों को दाखिला दिला सकें यही क्षेत्र की जनता पार्टियों के लोगों को क्यों निकाल विधानसभा व लोकसभा में भेजती है की समय आने पर यह नेता गण हम लोगों की समस्याओं का समाधान करेंगे लेकिन जब यह विधायक मंत्री बन जाते हैं तो जनता को भूल जाते हैं जब इनका कार्यकाल समाप्त होने को आता है तो यह लोग जनता को फिर से याद करने लगते हैं इस समय चुनाव को लेकर पूरे क्षेत्र में धमाल मची हुई है सभी पार्टियों के उम्मीदवार अपने अपने क्षेत्र में पूरी मुस्तैदी के साथ जुटे हुए हैं।
निर्वाचन आयोग तारीखों के ऐलान के बाद राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएंगे। इसको देखते हुए सरकारों की ओर से हाल के समय में लगातार शिलान्यास और उद्घाटन का कार्यक्रम चल रहा है।

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