वृंदावन धाम अपार,जपे जा राधे राधे…..

रिपोर्ट
धर्मेंद्र कुमार
बाराबंकी संदेश महल समाचार

जिला बाराबंकी के गगौरा में प्राथमिक विद्यालय के पीछे जय माता दी सेवा समिति के सौजन्य से चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास पंडित सर्वेश मिश्रा सौरंगा बेलहरा ने भगवान श्री कृष्ण के माखन चोरी की लीला के प्रसंग का वर्णन किया। मनभावन कथा का श्रवण कर श्रोताओं से भरें पंडाल का दृश्य भक्ति वत्सल हो गया। कथा के प्रसंग में कथा का श्रवण कराते हुए बताया कि जब कंस ने पूतना के वध की खबर सुनी तो उसने श्रीकृष्ण को मारने के लिए तृणावर्त नामक राक्षस को भेजा। तृणावर्त बवंडर बनकर गया और उसने बालकृष्ण को भी अपने साथ उड़ा लिया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने अपना वजन एकसाथ बढ़ा लिया,जिसे तृणावर्त भी संभाल नहीं पाया। जब बवंडर शांत हुआ तो बालकृष्ण ने राक्षस का गला पकड़कर उसका वध कर दिया।


कंस ने जब तृणावर्त के भी वध की खबर सुनी, तब उसने वत्सासुर को भेजा। वत्सासुर एक बछड़े का रूप धारण करके श्रीकृष्ण की गायों के साथ मिल गया। कान्हा उस समय गायों का चरा रहे थे। बालकृष्ण ने उस बछड़े के रूप में दैत्य को पहचान लिया और उसकी पूंछ पकड़ घुमाया और एक वृक्ष पर पटक दिया। यहीं उस दैत्य का वध हो गया।


वत्सासुर के बाद कंस ने बकासुर को भेजा। बकासुर एक बगुले का रूप धारण करके श्रीकृष्ण को मारने के लिए पहुंचा था। उस समय कान्हा और सभी बालक खेल रहे थे। तब बगुले ने कृष्ण को निगल लिया और कुछ ही देर बाद कान्हा ने उस बगुले को चीरकर उसका वध कर दिया।


बकासुर के वध के बाद कंस ने कान्हा को मारने के लिए अघासुर को भेजा। अघासुर ने कृष्ण को मारने के लिए विशाल अजगर का रूप धारण किया और अपना मुंह खोलकर रास्ते में ऐसे बैठ गया जैसे कोई गुफा हो। उसी समय श्रीकृष्ण और सभी बालक खेलते हुए गुफा में चले गए। मौका पाकर अघासुर ने अपना मुंह बंद कर लिया। तभी कृष्ण ने अपना शरीर तेजी से बढ़ाना शुरू कर दिया। कान्हा के विशाल शरीर के कारण अघासुर सांस भी नहीं ले पा रहा था। इसी प्रकार अघासुर का भी वध हो गया।

एक बार माता यशोदा श्रीकृष्ण की शरारतों से परेशान हो गईं और उन्होंने कान्हा को ऊखल से बांध दिया, कृष्ण के आंगन में दो बड़े-बड़े वृक्ष भी लगे हुए थे, कृष्ण ने उन दोनों वृक्षों को जड़ सहित उखाड़ दिया। वृक्षों के उखड़ते ही उनमें से दो यक्ष प्रकट हुए, जिन्हें यमलार्जुन के नाम से जाना जाता था। ये दोनों यक्ष पूर्व जन्म कुबेर के पुत्र नलकूबर और मणिग्रीव थे। इन दोनों ने एक बार देवर्षि नारद का अपमान कर दिया था, इस कारण देवर्षि ने इन्हें वृक्ष बनने का शाप दे दिया था। श्रीकृष्ण ने वृक्षों को उखाड़कर इन दोनों यक्षों का उद्धार किया।

नंदगोपाल अपने घर में और अपनी माता की सखियों के घरों में माखन की चोरी करते हैं।पूतना,तृणावर्त ,वत्सासुर अघासुर और बकासुर नामक राक्षस का वध करते है ।जब गोकुल में असुरों का आतंक ज्यादा बढ़ने लगा तो नंद बाबा अपने पूरे गांव समेत गोकुल को छोड़कर वृंदावन चले जाते है।

वृंदावन धाम अपार जपे जा राधे राधे
राधे अलबेली सरकार जपे जा राधे राधे……

श्री व्यास ने तमाम मार्मिक प्रसंग सुनाए। जिससे स्त्रोता आनंदित हुए इस मौके पर कमेटी सदस्य डॉ पवन , अमरनाथ मिश्रा उर्फ़ छोटू ,शेष कुमार कोटेदार सत्येंद्र रावत आशाराम प्रजापति, भगौती प्रसाद ,बरसावन प्रजापति एवम समस्त ग्रामवासी मौजूद रहे।
झांकी कार्यक्रम बहुत ही रोचक रहा जिसमें

गजब कर गई हाय ब्रज की राधा….
ओ राधीके दिल तोड़ के जाओ ना ….

कलाकारों ने दर्शकों का मन मोह लिया
रामानंद(कृष्ण)और मन्नू (राधा) का प्रदर्शन अत्यंत प्रशंसनीय रहा।

 

error: Content is protected !!