सूर्य प्रकाश मिश्र
सीतापुर संदेश महल समाचार
मिश्रिख सीतापुर तहसील क्षेत्र के गांव तरसावां में कृष्णा पत्नी तहेंद्र के द्वारा सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है। श्रीमद्भागवत कथा में वृंदावन धाम से आए कथावाचक सोनू चंचल उर्फ तूफानी महराज ने कथा के तीसरे दिन शिव विवाह का प्रसंग सुनाया। बताया कि हिन्दू धर्म शास्त्रों में भगवान शंकर व माता पार्वती के विवाह की महिमा का उल्लेख अनेक रूपों में मिलता है। कथावाचक ने बताया कि शिव-पार्वती का विवाह भव्य तरीके से संपन्न हुआ। माता पार्वती के परिवार की तरफ से अनेक राजा-महाराजा और रिश्तेदार विवाह में शामिल थे। बताया शिवजी अजन्मे है और उनका कोई परिवार नहीं बल्कि वह स्वयं सभी के परिवार कहे जाते हैं। शिव बारात में ब्रह्माजी, विष्णुजी समेत सभी देवी-देवता, सुर-असुर अपने सारे झगड़े भुलाकर पहुंचे थे। शिव पशुपति हैं, मतलब सभी प्राणियों के देवता भी हैं, इसलिए समस्त जानवर, कीड़े-मकोड़े और सारे जीव जंतुओं के अलावा भूत-पिशाच और विक्षिप्त लोग भी विवाह में शिवजी की तरफ से पहुंचे। बताया कि रुद्रप्रयाग में स्थित त्रियुगी नारायण’ एक पवित्र जगह हैं, माना जाता है कि सतयुग में जब भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया। मान्यता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए त्रियुगीनारायण मंदिर से आगे गौरी कुंड कहे जाने वाले स्थान माता पार्वती ने तपस्या की थी, और बाद में भगवान शंकर ने इसी मंदिर में माता पार्वती से विवाह किया। इस दौरान पिंकू मिश्रा, राधेश्याम, ललतू, अवधेश, राकेश, प्रदीप मिश्रा, सुरेंद्र मिस्त्री, राजेंद्र शिवपाल, सुशील, मनोज सहित सैंकड़ों कथाश्रोता मौजूद रहे।