सरकारी स्कूल में पढ़ेगी SDM की बेटी, कक्षा 1 में हुआ एडमिशन, कहा- सोच बदलना जरूरी
संवाददाता (संदेश महल) चित्रकूट: आपने अक्सर सुना और देखा होगा कि सरकारी अफसरों के बच्चे महंगे और नामी स्कूलों में ही पढ़ते हैं। लेकिन इस सोच को तोड़ते हुए, यूपी के चित्रकूट में तैनात एक ईमानदार और साहसी PCS अधिकारी ने नई मिसाल पेश की है। यह कहानी है मऊ SDM सौरभ यादव की, जिन्होंने अपनी बेटी का दाखिला किसी प्राइवेट या हाई-फाई स्कूल में नहीं, बल्कि एक सरकारी स्कूल में कराकर सबको चौंका दिया। उन्होंने अपनी बेटी को मऊ तहसील के इंग्लिश मीडियम प्राथमिक विद्यालय छिवलहहा में एडमिट करवा दिया—हां, उसी सरकारी स्कूल में, जिसे लोग अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। सौरभ यादव ने साबित कर दिया कि शिक्षा की गुणवत्ता स्कूल की बिल्डिंग, मोटी फीस या चमक-दमक से तय नहीं होती—बल्कि शिक्षक, विद्यार्थी और व्यवस्था की नीयत सबसे बड़ा पैमाना होता है। आज उनकी बेटी अन्य बच्चों के साथ एक सामान्य सरकारी स्कूल में बैठकर पढ़ाई कर रही है। और खुशी-खुशी सीख रही है।
सुधार चाहिए तो पहले हिस्सा बनो
SDM सौरभ यादव का कहना है—”अगर हम वाकई चाहते हैं कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई बेहतर हो, तो हमें खुद उस व्यवस्था का हिस्सा बनना होगा। क्या बात है? जब अफसरों और आम जनता के बच्चे एक ही क्लासरूम में बैठेंगे, तभी तो असली समानता आएगी ना। उनका यह विश्वास हर उस इंसान को सोचने पर मजबूर करता है, जो सरकारी व्यवस्था को कोसते तो हैं, लेकिन उसका हिस्सा बनने से कतराते हैं।
यह सोच समाज को आइना दिखाती है।
जहां ज़्यादातर अफसर अपने बच्चों को अंग्रेज़ी माध्यम के चमचमाते स्कूलों में पढ़ाना ही अपनी प्रतिष्ठा मानते हैं, वहीं SDM सौरभ यादव जैसे अफसर इस मानसिकता को ठोकर मार रहे हैं। उनका कदम साफ कहता है। कि सरकारी स्कूलों में भी टैलेंट, शिक्षा और उज्ज्वल भविष्य की पूरी संभावना है। बस ज़रूरत है तो भरोसे और नीयत की।
अब जागरूक हो रहा है समाज।
स्कूल के एक अध्यापक ने बताया कि SDM साहब की बेटी का एडमिशन क्लास 1 में हुआ है। वह बिल्कुल सामान्य बच्चों की तरह क्लास में बैठती है, सीखती है, सवाल पूछती है। और खास बात यह है कि उनके इस कदम के बाद कई अभिभावकों ने भी अपने बच्चों का एडमिशन स्कूल में करवाया है। अब हम ये गर्व से कह सकते हैं कि एक अफसर की सोच ने पूरे समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया