रिपोर्ट
रमेश कुमार तिवारी
संदेश महल समाचार
उत्तर प्रदेश के जिला प्रयागराज के विकास खंड बहरिया की ग्राम पंचायत परमानंदपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना में व्यापक पैमाने पर धांधली सामने नजर आई है। पात्रों की अनदेखी कर अपात्रों को खुलेआम योजना का लाभ दिया जा रहा है।आरोप है की अधिकारियों की साठ-गांठ के चलते पात्र लाभार्थियों के स्थान पर अपात्रों का चयन कर लाभ पहुंचाया जा रहा है। मामले को लेकर लगभग छः माह पूर्व से ग्रामीणों द्वारा लिखित एवं आनलाइन सिकायत की जा रही है।खानापूर्ति के लिए जाँच भी की गई। किंतु जांच भी ढांक के तीन पात जैसे सावित हुई। हालात यह है कि पक्का आवास वाले को अपात्र करने की बात लिखने वाला तंत्र पक्का आवास वाले को धन आवंटन कर आवास योजना का लाभ दिया जा रहा है। जबकि शिकायतों को लेकर जाँच में अपात्रों को आवास योजना के लाभ से वंचित करने की बात कही गई थी। किंतु यहां पर तो उल्टा हो रहा है। प्रधान मंत्री आवास योजना की समीक्षा सूची में अधिकारियों के रहमो करम के कारण इस पंचायत में अपात्र,पात्र हो रहें हैं, और पात्र अपात्र हो रहे हैं। यहां तो वहीं कहावत चरितार्थ हो रही है।अंधेर नगरी चौपट राजा।
गौरतलब हो कि आवास धन आवंटन में नियम कानून के पालन में 39 लोगों में 6 लोगों को पक्का आवास के आधार पर सूची से बाहर करने की आख्या दी गई। आनन फानन में 14 लोगों को धन आवंटन भी कर दिया गया।जबकि इसमें भी अपात्र मौजूद है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद भी सैकड़ों परिवार झुग्गी-झोपड़ी में रहने को मजबूर है।ग्रामीणों को इस बात का खासा मलाल है कि उनका नाम पात्रता सूची में तो आता है, लेकिन निजी स्वार्थ में डूबे अधिकारियों के बदौलत फिर उन्हें अपात्र घोषित कर उनके गरीबी का मज़ाक बनाया जाता है।
बताते चलें कि केंद्र सरकार ने पीएम आवास योजना का शुभारंभ 25 जून 2015 को किया था। सरकार का सपना है कि 2022 तक इस योजना के तहत 20 लाख घरों का निर्माण कराया जाएगा। इनमे 18 लाख ग्रामीण क्षेत्रों में झुग्गी-झोपड़ी वालों के लिए लक्ष्य निर्धारित किया था। किंतु प्रशासनिक लापरवाही और बेदम व्यवस्था के चलते सरकार के सपनो पर संकट मंडरा रहा है।