हरीराम सैन
राजस्थान संदेश महल समाचार
कुचामन जिले में ईसबगोल की खेती साबित हो रही फायदेमंद केवल एक हेक्टेयर जमीन में 10 से 15 क्विंटल तक इसबगोल का उत्पादन हो सकता है। डीडवाना। कम पानी वाले क्षेत्र डीडवाना – कुचामन जिले में किसान अब औषधीय फसलों की और रुख करने लगे है । वर्तमान में औषधीय पौधों की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है, जिसके कारण इसकी खेती की का चलन भी बढ़ गया है। अब कई किसान पारंपरिक खेती छोड़ अधिक मुनाफे वाली खेती कर रहे हैं। मुनाफा देने वाली खेती में औषधीय खेती भी शामिल हैं। इसमें ईसबगोल की फसल भी आती है। जिसकी खेती करके किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं। कुचामन सिटी कृषि विभाग में कृषि अधिकारी डॉक्टर प्रभु दयाल चौधरी, किसानों को औषधीय फसलों की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं । कार्यालय में आने वाले किसानों को वे औषधीय पौधों खासतौर पर ईसबगोल की खेती के फायदे भी बता रहे है । डॉक्टर प्रभु दयाल ने बताया की, जिले में सिंचित क्षेत्र के लगभग 25 प्रतिशत क्षेत्र एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ईसबगोल की खेती की जा रही है । उन्होंने बताया की किसान ईसबगोल की खेती कम लागत में शुरू कर सकते हैं। जिससे अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। ये फसल 115 दिन में तैयार हो जाती है। केवल एक एक हेक्टेयर जमीन में 10 से 15 क्विंटल तक इसबगोल का उत्पादन हो सकता है। मंडी में ईसबगोल का भाव भी अच्छा मिल जाता है। यानी किसान इस फसल के माध्यम से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। डीडवाना – कुचामन जिले के किसान भी अब कृषि अधिकारियों से प्रेरित होकर ईसबगोल की खेती की और रुख करने लगे हैं । किसानों के मुताबिक औषधीय गुणो से भरपूर ईसबगोल के लिए डीडवाना कुचामन जिले का मौसम उपयुक्त है कम पानी वाले क्षेत्र में ईसबगोल की खेती करके मुनाफा कमाया जा सकता है ईसबगोल के पौधों में बीमारी भी कम लगती है वही पानी भी कम चाहिए।भाव अच्छे मिलने के साथ फसल को तैयार करने में मेहनत भी कम लगती है । किसानों के लिए ईसबगोल की खेती कम समय तथा कम लागत में ज्यादा आय देने वाला स्रोत है।