रिपोर्ट: संदेश महल समाचार
कुपोषण से जूझ रहे मासूमों के लिए मेरठ का पोषण पुनर्वास केंद्र वरदान बनकर उभरा है। यहां न केवल बच्चों को संजीवनी मिल रही है, बल्कि मांओं को भी सुकून और सहारा मिला है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अशोक कटारिया बताते हैं कि पिछले एक साल में 187 बच्चों का इलाज सफलतापूर्वक किया गया है। ये सभी बच्चे अब स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके हैं।
(डॉ. अशोक कटारिया, मुख्य चिकित्सा अधिकारी – मेरठ)
“यह सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि एक पुनर्जीवन है। हमारा उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा कुपोषण के कारण अपने बचपन से समझौता न करे। पोषण पुनर्वास केंद्र में उन्हें बेहतर देखभाल, पौष्टिक आहार और जरूरी इलाज निशुल्क मुहैया कराया जाता है।”
यहां हर मां के चेहरे पर राहत की मुस्कान है—जैसे उनके बच्चे को नया जन्म मिला हो।
(हिना, लाभार्थी – मेरठ)
“जब मैं यहां आई थी, मेरा बच्चा बहुत कमजोर था। अब वो मुस्कुराता है, खेलता है… यह सब यहां के इलाज और देखभाल की वजह से हुआ।”
(अंजलि, लाभार्थी – मेरठ)
“हम गरीब लोग हैं, इलाज का खर्च उठा नहीं सकते थे। लेकिन इस केंद्र ने बिना पैसे लिए हमारी जिंदगी बदल दी।”
(मीनू, लाभार्थी – मेरठ)
“सरकार का धन्यवाद, जिसने ऐसी योजना चलाई। मेरे बच्चे को दूसरा जीवन मिल गया है।”
14 दिनों के इस इलाज और देखभाल की अवधि में न सिर्फ बच्चों का वजन बढ़ता है, बल्कि मांओं को भी पोषण और देखरेख की अहमियत समझाई जाती है। यह पहल न केवल स्वास्थ्य सुधार की दिशा में एक मजबूत कदम है, बल्कि मानवता की एक सच्ची तस्वीर भी पेश करती है।
मेरठ का यह केंद्र अब पूरे प्रदेश के लिए एक आदर्श बनता जा रहा है—जहां हर मासूम को मिलने लगा है बेहतर जीवन का अधिकार।