रिपोर्ट
रामप्रवेश यादव
बाराबंकी संदेश महल समाचार
ये वो वाली गोली नहीं है, जो आप सोच रहे हैं? वही जिसमें मार दिया ठांय-ठांय। ये दूसरी वाली गोली है। अरे आप इतना बेचैन काहे हो रहे। सब्र रखिए बता रहे हैं? ना।अरे भैया ई चुनाव जो न करावै आज कल नेता लोगन कै बड़ा बुरा हाल हैं? न रातों को नींद ना दिन को चैन, ये चुनाव भी गजब चीज हैं तड़के सुबह उठना। चिलचिलाती धूप और गली-मुहल्लों की खाक छानना, रात तक नींद नसीब नहीं। ऊपर से यह कि जिन्हें फूटी आंख देखना भी गवारा ना करें, उनको चूमना गले लगाना। यह सब कोई आसान काम थोड़ी ना है। वह भी तब, जब ज्यादातर नेता जी 60 पार के हैं। लेकिन, कुर्सी की दौड़ ही ऐसी हैं कि गठिया के बावजूद दौड़ना पड़ रहा है और तो और दिखना भी फिट और जवान है. तभी जनता भाव देगी। ऐसे में नेताजी ताबड़तोड़ गोलियां पचा रहे है और पावर की दौड़ में पावर दिखा रहे हैं। अंदर खाने की खबर है सच्ची बता रहे है सुबह प्रेशर की दोपहर शाम ताकत की और रात में नीद वाली गोली के सहारे ही नेता जी लोग चल रहे हैं। कलुआ, बुधना, मंगरा को हवा ही नहीं लग रही कि ई सब दवा का कमाल है।