जब प्रथ्वी पर अत्याचार बढ़ता है तब अवतार लेते हैं भगवान – संतोषी शास्त्री

रिपोर्ट
हिमांशु यादव
मैनपुरी संदेश महल समाचार

जनपद मैनपुरी थाना क्षेत्र बिछवां पाप और अत्याचार विनाश की ओर अग्रसर करता है। पाप और अत्याचार बढ़ने से भगवान का अवतार होता है। जब जब प्रथ्वी पर अत्याचार बढ़ता है तब तब दुष्टों के बिनाश के लिए और अपने भक्तों को अपनी लीलाओं का आनन्द देने के लिए भगवान अवतार लेते हैं। जब राजा कंस ने ब्राहमणों, संतों , गौमाता और भगवान के भक्तों पर अत्याचार किया तो भगवान ने देवकी , वसुदेव के यहां आंठवे रूप में बालक बनकर के अवतार लिया । उक्त विचार क्षेत्र के गांव ब्रजपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथा वाचिका संतोषी शास्त्री ने कही।कथा सुनाते हुए आगे बताया कि जव प्रथ्वी पर अत्याचार बढ़ा तो प्रथ्वी माता और सभी देवता भगवान के पास पहुंचे और उनसे दुःख निवारण करने की प्रार्थना की। भगवान ने आश्वासन दिया कि मैं देवकी और वसुदेव का आठवां पुत्र बनकर तुम सबके दुःख दूर करुंगा और भक्तों को अपनी लीलाओं का आनन्द दूंगा। भगवान श्रीकृष्ण ने भादौ महीने की क्रष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रात के बारह बजे कंस की जेल में अवतार लिया। उसके बाद वसुदेव उनको रात्रि में ही यमुना नदी पार करके मथुरा से गोकुल में यशोदा के यहां छोड़ आए। और वहां से यशोदा के यहां जन्मी कन्या को लेकर बापस लौट आए। वह कन्या जोर जोर से रोने लगी जिसे सुनकर सभी पहरेदार जाग गये और राजा कंस को सूचना दी कि देवकी और वसुदेव की आठवीं संतान ने जन्म ले लिया है। वसुदेव ने अपनी आठवीं संतान को राजा कंस को सौप दिया। राजा कंस ने जैसे ही उसे प्रथ्वी पर पटकना चाहा तभी वह हाथ से छूटकर आकाश मार्ग पर चली गई और आकाशवाणी हुई कि रे दुष्ट तुझे मारने बाला तो गोकुल में जन्म ले चुका है। आकाशवाणी सुनकर कंस घवरा गया। उधर गोकुल में यशोदा ओर नंदबाबा के यहां पूरे ब्रजमंडल में वधाइंया व मंगल गीत गाए जाने लगे।

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