ठाकुर भक्त दंपत्ती द्वारा बनाये गए रंग गुलाल व केसर की कीच से होली खेलेंगे बाँके बिहारी महाराज

मथुरा। बांकेबिहारी मंदिर में होली पर ठाकुरजी भक्त दम्पति द्वारा बनाए गए रंग-गुलाल और केसर की कीच से होली खेलेंगे, वहीं उन्हें किसी भक्त की नजर न लगे इसके लिए काला चोवा (टीका) भी वह स्वयं ही अपने हाथों से तैयार करेंगे। होली के लिए टेसू के फूल से रंग बनाने की तैयारी भक्त परिवार द्वारा तैयारी शुरू कर दी गई है। बता दें कि ठा. बांकेबिहारी मंदिर में रंगभरनी एकादशी से फूल एवं रंग गुलाल की होली शुरू होती है। इसी दिन से पूरे ब्रज मंडल में रंगों की बौछार शुरू जाती है। इस दिन ठा. बांकेबिहारी मंदिर में पहले फूलों की होली होती है। इसके बाद टेसू के फूलों से बनाया गया रंग, इत्र की खुश्बू युक्त प्राकृतिक गुलाल, अबीर और केसर की कीच ठाकुरजी के गालों (कपोलों) पर लगाई जाती है। ठाकुरजी के लिए रंग गुलाल बनाने का काम ठाकुरजी के अनन्य भक्त स्व. सेठ हरगुलाल द्वारा किया जाता था। वर्तमान में उनकी इस परम्परा को उनके पुत्र राधेश्याम बेरीवाला, पुत्रवधु गायत्री देवी एवं अन्य परिजन पूरी निष्ठा और भक्तिभाव से समर्पित हैं। बांकेबिहारी मंदिर के निकट स्थित हवेली में बेरीवाला परिवार द्वारा ठाकुरजी के लिए होली के रंग बनाने की शुरुआत कर दी गई है। भक्त राधेश्याम बेरीवाला ने बताया कि बाजार से मंगवाए गए टेसू के फूलों को साफ कर धूप में सुखाया जा रहा है। इसे पूरी तरह से सुखाने के बाद रंगभरनी एकादशी वाले दिन मंदिर की कच्ची रसोई में बड़े-बड़े कड़ाहों में पानी के साथ भिगोकर उबाला जाएगा। जिससे निकलने वाले रंग को ठाकुरजी को लगाया जाएगा तथा ठाकुरजी की ओर चांदी की पिचकारी से सेवायत गोस्वामियों द्वारा प्रसाद स्वरूप भक्तों पर बरसाया जाएगा। बताया कि रंगभरनी एकादशी से होलिका दहन वाले दिन तक ठाकुरजी को लगाया जाने वाला गुलाल सपत्निक उनके द्वारा अपने हाथों से तैयार किया जाएगा। अरारोट से बने गुलाल में फूलों से निकाले गए इत्र को मिलाया जाएगा। साथ ही केसर का रंग बनाया जाएगा जिसमें केसर समेत गुलाबजल, कपूर, इलायची, चंदन और कस्तूरी का प्रयोग होगा। इसके अलावा ठाकुरजी के कपोलों पर लगाने के लिए केसर की कीच तैयार की जाएगी। बताया कि होली के रंग में सराबोर अनूठी छवि में दर्शन देते ठाकुरजी को भक्तों की नजर न लगे इसके लिए काला चोवा (टीका) भी वह स्वयं अपने हाथों से तैयार करते हैं।

धुलैड़ी पर स्वर्ण-रजत फूलडोल में विराजेंगे बांकेबिहारी:वृंदावन। धुलैड़ी के दिन ठा. बांकेबिहारी स्वर्ण-रजत जड़ित फूलडोल में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे। इस स्वर्ण-रजत जड़ित फूलडोल का निर्माण ठाकुरजी के अनन्य भक्त स्व. सेठ हरगुलाल द्वारा स्वर्ण-रजत हिंडोला के साथ ही कराया था। भक्त राधेश्याम बेरीवाला ने बताया कि इस बार 18 मार्च धुलैड़ी के दिन ठाकुरजी फूलडोल में विराजेंगे। इसे मंदिर के जगमोहन में लगाने का काम 17 मार्च को शयन भोग आरती के उपरांत मंदिर की सफाई के बाद शुरू किया जाएगा। उनके परिवार के सभी सदस्य एवं मंदिर प्रबंधन के लोग मिलकर इसे स्थापित करते हैं। 104 साल से ठा. बांकेबिहारी की सेवा में तत्पर है बेरीवाला परिवार:वृंदावन। ठा. बांकेबिहारी महाराज के अनन्य भक्त स्व. सेठ हरगुलाल द्वारा मंदिर में ठाकुरजी की सेवा की शुरुआत वर्ष 1919 को फुलैरा दौज के दिन ही की गई थी। इनकी इस सेवा को अब 104 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। अपने पिता से विरासत में मिली ठाकुरजी की सेवा की सीख को आज उनके पुत्र राधेश्याम बेरीवाला अपने अन्य परिजनों के साथ पूरी तन्मयता और आस्था के साथ करने में हमेशा तत्पर रहते हैं। वह ठाकुरजी की सेवा ही अपना सर्वस्व मानते हैं।रंगभरनी एकादशी पर ठा. बांकेबिहारी मंदिर में उड़ेगा रंग-गुलाल:वृंदावन। धर्मनगरी के मंदिरों में रंगभरनी एकादशी यानि 14 मार्च से रंगों की बौछार शुरू हो जाएगी। विश्वविख्यात ठा. बांकेबिहारी मंदिर में टेसू के फूलों से बने रंग एवं हर्बल गुलाल से ठाकुरजी भक्तों संग होली खेलेंगे। साथ ही ठा. राधाबल्लभ मंदिर से 14 मार्च शाम को रंगबिरंगे फूलों से सजे डोला में विराजमान प्रिया प्रियतम भक्तों पर अबीर गुलाल उड़ाएंगे। वहीं कोरोना आपदा चलते इस बार मंदिरों में रंग का पर्व होली पूरी तरह से हर्बल कलर एवं गुलाल से मनाई जाएगी। विश्वविख्यात ठा. बांकेबिहारी मंदिर में रंगभरनी एकादशी 14 मार्च से रंगीली होली की शुरुआत होगी। जहां सुबह 7.45 बजे श्रंगार आरती के बाद ठाकुरजी की ओर से गुलाल उड़ाया जाएगा। साथ ही राजभोग आरती पर दोपहर 1 बजे एवं शाम 4.30 बजे पट खुलने के साथ ही टेसू के रंग, हर्बल गुलाल एवं अबीर से भक्तों पर रंग-गुलाल एवं फूलों की बौछार की जाएगी। मंदिर के सहायक प्रबंधक उमेश सारस्वत ने बताया कि रंगभरनी एकादशी से 18 मार्च धुलैड़ी तक मंदिर में होली की धूम रहेगी। बताया कि कोरोना महामारी के चलते होली के दौरान टेसू के रंग, प्राकृतिक रुप से तैयार गुलाल से ठाकुरजी भक्तों संग होली खेलेंगे।

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