डाक्टर साहब मेरे पापा को बचा लीजिए किंतु इंतजार में खामोश हो गईं 35 जिंदगियां

 

जेपी रावत
कानपुर संदेश महल समाचार

चिकित्सालय हैलट के इमरजेंसी में मरीजों का तांता लगा है। सीनियर डॉक्टर नदारद रहते हैं। जूनियर डॉक्टर मरीजों की भीड़ में ठीक से इलाज नहीं कर पा रहे हैं। समय पर इलाज न मिलने से 35 से ज्यादा मरीजों की हैलट इमरजेंसी में मौत हो गई।
परिजन चिकित्सकों के गिड़गिड़ाते नजर आए इसी क्रम में एक बेटे की जुबानी कुछ इस तरह दिखाई दी डॉक्टर साहब मेरे पापा को बचा लीजिए।
डॉक्टर साहब मेरे पापा दो घंटे से स्ट्रेचर पर पड़े हैं, उनका इलाज शुरू नहीं हुआ। जल्दी से देख लीजिए। कुछ करिए, उन्हें बचा लीजिए…। ओम चौराहा, काकादेव निवासी सुनील डेढ़ घंटे तक हैलट इमरजेंसी में जूनियर डॉक्टरों से गुहार लगाता रहा, पर उसके होमगार्ड पिता नरेंद्र कुमार (54) का इलाज शुरू नहीं हुआ। इसी बीच उनकी सांसें रुक गईं। बाद में आए डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
भतीजे रवींद्र कुमार ने बताया कि चाचा की पंचायत चुनाव में ड्यूटी लगी थी। लौटने के बाद बुखार के बाद सांस लेने में तकलीफ हुई, तब से ऑक्सीजन सिलिंडर लगाए ई-रिक्शा से अस्पताल – अस्पताल भटक रहे थे, पर कोई भर्ती नहीं कर रहा था। हालत बिगड़ते देख हैलट इमरजेंसी लाए, यहां भी इलाज के अभाव में उनकी मौत हो गई। उनका शव घर तक ले जाने के लिए सरकारी एंबुलेंस भी नहीं मिली।
बेटी बोली, डॉक्टरों ने मां को मार डाला
डॉक्टरों ने मां को मार डाला। इलाज करते तो वो बच जातीं। इमरजेंसी में आते समय मां बोल रही थीं, स्ट्रेचर पर पड़े – पड़े मर गईं, पर इलाज नहीं हुआ, यह कहते – कहते गोविंदपुरी निवासी रचना हैलट इमरजेंसी के बाहर बेहोश हो गईं। परिजनों ने बताया कि रचना की मां रानी का बुखार नहीं उतर रहा था। सांस लेने में भी तकलीफ थी। हालत बिगड़ती देख उन्हें हैलट इमरजेंसी लाया गया था। परिजनों ने भी डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया।
कहां है ऑक्सीजन, मिले तो लाकर लगा लो
चकेरी निवासी पोस्टमास्टर अनिल पासवान को बेटी रुची करीब 11 बजे हैलट इमरजेंसी लेकर पहुंची। डॉक्टरों ने नब्ज देखी, ऑक्सीजन नापा, पर्चा बनवाने के लिए कहा। पर्चा बनता उससे पूर्व पिता की सांसे साथ छोड़ने लगीं तो बेटी ने हाथ जोड़ लिए, सर ऑक्सीजन पहले लगा दीजिए, डॉक्टरों ने सिर्फ एक जवाब दिया कहां ऑक्सीजन है। मिले तो लाकर लगा लो, कुछ ही देर में एक बेटी के सिर से पिता का साया उठ गया।
फर्रुखाबाद निवासी विद्यावती (58) को सांस लेने में तकलीफ थी। दोपहर ढाई बजे परिजन उन्हें हैलट इमरजेंसी लेकर पहुंचे। एंबुलेंस का सिलिंडर खत्म होने वाला था। बेटी ने गुहार लगाई कि मां को जल्दी भर्ती करो, सिलिंडर खत्म हो रहा है। वार्ड ब्वाय ने इसे अनसुना कर दिया। स्ट्रेचर तलाश कर वे मां को इमरजेंसी के अंदर ले गए लेकिन इलाज नहीं शुरू हो सका।
वहीं, सत्यम विहार, आवास विकास-1 निवासी रजनी की कोरोना एंटीजन जांच रिपोर्ट निगेटिव थी, पर सांस लेने में तकलीफ थी। बेटा अनिल दोपहर 1:30 बजे उन्हें हैलट इमरजेंसी ले आया। गुहार लगाने पर भी डॉक्टर रजनी का इलाज नहीं कर रहे थे। हालत बिगड़ते देख परिजन उन्हें निजी अस्पताल ले गए। वहीं, फतेहपुर से इलाज के लिए अपने मां कमला रानी 60 को लेकर हैलट आए थे। वार्ड मरीजों से भरा देख लौट गए वापस।

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