वेदविभूषण सन्देश तिवारी
अयोध्या धाम
संदेश महल समाचार
मकर संक्रान्ति विशेष
प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी मकर संक्रांति का पावन पर जो की खुशहाली व अन्न धन की समृद्धि के रूप में मनाया जाता है। यह संक्रांति सौम्यायन संक्रांति के नाम से जानी जाती है।मंकर संक्रांति पर पवित्र नदी घाटों पर स्नान की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के पावन अवसर पर नदी में स्नान करने से तन मन पवित्र हो जाते हैं।
ज्योतिर्विद वेद विभूषण सन्देश जी ने बताया कि हृषिकेश (काशी)पंचांगानुसार मकर संक्रांति काल मध्यान में दोपहर 02:03पर होगा यह पावन पर्व पौष शुक्ल पक्ष प्रतिपदा उपरांत द्वितीया तिथि और श्रवण नक्षत्र के योग में होगा। वज्र योग और बवकरण का भी संयोग है।दिन के 2:03 के बाद सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे। मकर राशि इनके पुत्र शनि की पहली राशि और पृथ्वी तत्व की राशि है। पूरा दिन पुण्य काल माना जाएगा। सर्वत्र नदियों तीर्थों, कुआं, तालाब, सरोवर इत्यादि में स्नान करने का विधान है। संक्राति के दिन खिचड़ी खाना और खिलाना तथा दान करना उत्तम फल देता है। बड़ी संख्या में लोग इस पावन पर्व पर स्नान ध्यान कर दान देने का विशेष महत्व है।दक्षिण भारत में यह पर्व पोंगल तो असम में विट्ट के रूप में मनाया जाता है।