सजदा खुदा को करते हैं दिल में बुतों की याद
नादिम हैं खुद की पढ़ते हैं कैसी नमाज हम
राधे राधे श्री राधे
तू मेरा इमान लिखूंगा
तू विधि की रचना सर्वोपरि
विश्व एक दूजे पर निर्भर
कहते सब कानों में चुपके
पत्र भेज दूं तेरा जाकर
प्रतिउत्तर मिल जाए तुम्हारा
तुम हो मेरी जान लिखूंगा
तू मेरा ईमान लिखूंगा
जख्मों पर है नमक छिड़कता
बार-बार मन मेरा कहता
हद है कोई कितना सहता
अंतर्मन बस इतना चहता
अनुकंपा मिल जाए तुम्हारी
सब जग का सम्मान लिखूंगा
तू मेरा ईमान लिखूंगा
जंगल नदिया तीर सरोवर
पर्वत घाटी झरने का स्वर
सब कहते जीवन है नश्वर
फिर भी फर्क नहीं तेरे पर
अरमानों को मेरे जलाया
पर तुझको अरमान लिखूंगा
तू मेरा ईमान लिखूंगा
सारे जग से अलग निराला
तेरा रूप सदा मतवाला
श्वेत श्याम सिंदूरी वाला
तेरे अमर वाक्य सुनता हूं
गूंज रहे प्रतिमान लिखूंगा
तू मेरा ईमान लिखूंगा