रिपोर्ट विनोद कुमार दूबे संतकबीरनगर संदेश महल समाचार
महुली कसबा मे चल रहे नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन नाथनगर ब्लाक क्षेत्र के महुली कसबा में चल रहे नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन बृहस्पतिवार को भागवत कथा प्रारंभ से पूर्व राधे-राधे श्री राधे के नाम से पूरा पंडाल गूंजता रहा। श्रीधाम बृन्दावन से पधारे कथा व्यास पंडित सुन्दर कृष्ण शास्त्री जी माहाराज ने श्रीमद् भागवत की अमर कथा व सुखदेव जी के जन्म का वृतांत विस्तार से वर्णन किया। कैसे श्री कृष्ण सुखदेव महाराज को धरती पर भेजे! भागवत कथा ज्ञान करने को ताकि कलयुग के लोगों का कल्याण हो सके। रास्ते में कैलाश पर्वत पर उन्होंने चुपके से भगवान शिव की ओर से मां पार्वती को सुनाई जा रही भागवत कथा सुन ली। इससे शिव नाराज होकर उन्हें मारने दौड़े। साथ ही राजा परीक्षित को श्राप लगने का प्रसंग सुनाया गया। कथा ब्यास ने कहा कि राजा परीक्षित की मृत्यु सातवें दिन सर्प दंश से होनी थी। जिस व्यक्ति को यह पता चल जाए कि उसकी मृत्यु सातवें दिन होगी, वह क्या करेगा, क्या सोचेगा। राजा परीक्षित यह जानकर अपना महल छोड़ दिए। कथा ब्यास ने बताया कि श्रीकृष्ण की ओर से राजा परीक्षित को दिए गए श्राप से मुक्ति के लिए उन्हें भाई सुखदेव से मिलने की कथा सुनाई। कहा कि भागवत कथा का श्रवण आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाता है। सुखदेव मुनि ने राजा परीक्षित से कहा कि सब को सात दिन में ही मरना है। इस सृष्टि में आठवां दिन तो अलग से बना नहीं है। संसार में जितने भी प्राणी हैं। सभी परिचित हैं सब की मृत्यु एक ना एक दिन तो होनी है और जो मनुष्य एक बार श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कर ले और उसे सुनकर जीवन में उतार ले तो उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। उसे भगवान की प्राप्ति हो जाती है। ज्ञान के बिना जीवन में अंधेरा है और आचरण के बिना जीवन की पवित्रता नहीं है। चेतना के विकास के लिए ज्ञान के साथ-साथ अच्छा आचरण होना जरूरी है। कथा ब्यास ने बताया कि साधक को कभी भी अपने बर्तन में जूठा नहीं छोड़ना चाहिए। जूठा छोड़ना एक अभिशाप है। अंत में आरती व संगीत के साथ भजन का आनंद लोगों ने देर रात तक लिया। श्रीमद भागवत कथा के मुख्य श्रोता के रूप में पूज्य माता कुसुम देवी रही! इस मौके पर खगेन्द्र प्रसाद मिश्र, योगेन्द्र मिश्र, गोबिंद, नरसिंह, प्रसिद्ध, पुरूषोत्तम, श्रवण, सौरभ, सूरज, आकाश, अंशुमान, चन्द्रदेव मिश्र, झिनकू मिश्र, मनीश, ज्ञानेंद्र, ओमप्रकाश, मुन्नी लाल, शिवमंगल, बिपुल, बिशाल, कमलेश शुक्ल, सर्वेश, राहुल आदि सैकड़ो लोग उपस्थित थे।