रिपोर्ट
सूर्य प्रकाश मिश्र
सीतापुर संदेश महल समाचार
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 मधु गैरोला ने बताया कि डेंगू रोग का रोगवाहक एडीज एजिप्टी मच्छर (टाइगर मच्छर) के काटने से फैलता है। यह दिन के समय सक्रिय रहकर बार-बार काटने का प्रयास करता है एवं एक बार में एक ही या कई-कई जनों को काटने की क्षमता रखता है।
रोग के लक्षणों के विषय में बताते हुये उन्होंने कहा कि डेंगू रोग का रोगवाहक मच्छर काटने के बाद तेज बुखार, बदन दर्द, सरदर्द, बदन के जोड़ों एवं मांस पेशियों में दर्द, शरीर की त्वचा पर चकत्ते या लाल दाने उत्पन्न होते है। आँख, मुँह, नाक मल व मूत्र के स्थान से खून आना, आँखों के पीछे, आँखे घुमाने पर तेज दर्द होना, जी मितलाना, उल्टी दस्त होना तथा पेट में दर्द होना, रक्त की जांच कराने पर प्लेटलेट की संख्या का 01 लाख से कम हो जाना आदि इस रोग के लक्षण हैं। डायबिटीज, रीनल फेल्योर, श्वसन रोगी, किडनी रोगी तथा प्रतिरोधक क्षमता (एम्यून कम्प्रेस्ड) कम वाले व्यक्ति में यह रोग गंभीर हो सकता है एवं रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।
उन्होंने बताया कि बचाव के लिये स्वास्थ्य विभाग द्वारा करायी जा रही फागिंग/स्पेस स्प्रे के समय दरवाजे-खिड़कियां खुले रखें। घरों में संचयित पानी को साप्ताहिक अन्तराल पर बदलते रहे। कूलर का पानी बदलने के बाद टंकी को स्क्रब से रगड़ साफ करें ताकि उस पर चिपके मच्छरों के अण्डे और लार्वा मर जायें सम्भव हो तो टंकी चार से पाँच दिनों तक धूप में सुखायें। घर के आस-पास गंदगी न फैलने दें और न ही पानी एकत्रित होने दें। शरीर को अधिकतम ढकने वाले वस्त्रों को पहने। मच्छर भगाने वाली औषधि एवं सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। नीम की पत्ती का धुआं करें एवं जहां पानी एकत्रित हो निकालने का प्रयास करें तथा डेंगू रोग होने की स्थिति में पूर्ण आराम करें एवं चिकित्सक की सलाह से पैरासीटामाल गोली (वयस्क), सीरप (अवयस्क) का सेवन कर बुखार को कम करें। डा0 गैरोला ने बताया कि डेंगू से बचाव के लिये घर के आस-पास एवं घर के अन्दर गंदगी या/कूड़ा एकत्र न होने दें। घर में बुखार के रोगी को बिना मच्छरदानी के न रहने दें न सोने दें। बुखार रोगी की देखभाल के लिए कमरे में खिड़की व दरवाजें बिना जाली के न रखें। नंगे बदन न रहें तथा बिना चिकित्सक के सलाह से कोई भी दवा का सेवन न करें।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सलाह दी है कि शरीर पर मच्छर निरोधक औषधियों का आवश्यकतानुसार लेप लगायें। घर के आस पास पानी एकत्र होने वाले स्थानों को मिट्टी से भर दें, यदि यह संभव न हो तो कुछ बूंदे मिट्टी के तेल या डीजल ऐसे स्थानों पर डाल दें। जहां तक संभव हो पूरी आस्तीन की कमीज तथा मोजे आदि का प्रयोग करें ताकि मच्छर के काटने से बचा जा सके। डेंगू बुखार के रोगी होने पर स्वास्थ्य अधिकारी को सूचना दें ताकि प्रभावित क्षेत्र में कीटनाशक का छिड़काव कराया जा सके। घर में यदि कोई डेंगू बुखार का रोगी है, तो उसे बिना मच्छरदानी के न रहने दें अथवा ऐसे कमरे में रोगी की देखभाल करें जिसके दरवाजे, खिड़कियों पर जालियाँ लगी हों। डेंगू बुखार का कोई भी टीका नहीं होता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को बुखार की औषधि पैरासिटामाल दिया जाना चाहिए। एस्प्रीन, कार्टीसोन का प्रयोग कतई नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने यह सलाह भी दी है कि लक्षणों के प्रकट होने पर तुरन्त निकट के सरकारी अस्पताल में जाकर जाँच एवं उपचार करायें।