अशोक अवस्थी
लहरपुर सीतापुर संदेश महल
मोहब्बत का आलम कोई उससे पूछे
सहर हो गई हो जिसे रोते-रोते
आजा राधा
कुसुमित पुष्प भंवरा डोले हैं
पपीहा पिया पिया बोले हैं
कुछ कलियों ने मुंह खोले हैं
मस्त बसंत सुगंध पवन को
बस आकर बिखरा जा राधा
आजा राधा आजा राधा
मधुबन तुम्हें पुकार रहा है
आंसू पत्ते डार रहा है
गोपी ग्वाल निहार रहा है
गहरी लंबी सांसे लेता
जल्दी आ समझा जा राधा
आजा राधा आजा राधा
गोपी ग्वाल सिसकते लगते
बात हुई क्या मुझसे कहते
कुछ आंसू आंखों में भरते
मेरी तरफ देखते गुमसुम
मुखड़ा जल्द दिखा जा राधा
आजा राधा आजा राधा
बहुत विलंब ठीक ना होता
हम हंसते हैं पर दिल रोता
तुझ पर कुछ भी असर ना होता
गायें बछड़े बंसी गुमसुम
हंसकर गले लगा जा राधा
आजा राधा आजा राधा
जो मेरे हैं अपने लगते
मुझसे पहले तुझको जपते
अस्ताचल सूरज है छुपते
इससे अधिक समर्पण क्या हो
प्रश्न कठिन सुलझा जा राधा
आजा राधा आजा राधा