रिपोर्ट
घनश्याम तिवारी
धनघटा संतकबीरनगर संदेश महल समाचार
पक्की परियोजनाओं पर दो माह पूर्वब्लाक प्रशासन द्वारा वसूल लिया गया मोटी रकम
मनरेगा योजना के तहत कागज के टुकड़ों पर रेवड़ी की तरह सोने के भाव बांटी गई वित्तीय स्वीकृति अब ब्लाक प्रशासन पर भारी पड़ने वाली है। दो महीने पूर्व मनरेगा मे पक्की परियोजनाओं पर मोटी रकम वसूल कर लिया गया। वित्तीय स्वीकृति को जब मूर्त रूप देने का समय आया तो साहब की आनाकानी शुरू हो गई। हैसर व पौली के कई दर्जनों ग्राम प्रधान अब गांव मे इण्टरलाकिंग सड़क के निर्माण को लेकर जियो टैग का इन्तजार करने को विवश हैं। विदित है कि पिछले दो महीने से हैसर व पौली ब्लाक मे मनरेगा के तहत पक्की परियोजनाओं पर 5 प्रतिशत कमीशन वसूल करके जिम्मेदार अधिकारी द्वारा कागज की फाइलों पर वित्तीय स्वीकृति देने का मकड़जाल शुरू किया गया। हालांकि मनरेगा की गाइडलाइन के अनुसार यह प्रक्रिया भ्रष्टाचार की श्रेणी मे आता है। सवाल यह है कि जब केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने पेपर लेस स्कीम के तहत मनरेगा मे विकास कार्यों को लेकर सेक्योर साफ्टवेयर जारी किया है ,तो जिले मे किसी जिम्मेदार अधिकारी की निगरानी मे कागजी फाइलों का खेल खेला जा रहा है। ब्लाक सूत्रों की मानें तो यहां लगभग 35 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं को वित्तीय स्वीकृति का लालीपाप थमा दिया गया। अब जब उक्त ग्राम पंचायतें कागजों मे कीमत देकर स्वीकृत हुई परियोजनाओं पर कार्य कराने का प्रयास कर रही हैं तो आईडी निकलने और टी एस होने के बाद भी उन परियोजनाओं की जियो टैगिंग नही हो पा रहा है। सूत्रों कहना है कि नाथनगर ब्लाक मे ग्राम पंचायतों के साथ पन्नों पर वित्तीय स्वीकृति बिना 60:40 के अनुपात को ध्यान मे रखकर स्वीकृति की गई है यदि उसी तरह सेक्योर साफ्टवेयर पर स्वीकृति दी गई तो मनरेगा के जिम्मेदार उच्चाधिकारियों के सामने ब्लाक प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों की कलई खुल जाएगी। ब्लाक प्रशासन की इस कार्यशैली से अधिकांश प्रधानों के तेवर बगावती होते नजर आ रहे हैं। यदि प्रधानों की बगावत शुरू हुई तो लूटपाट मे जुटे लोगों का चेहरा जल्द ही सामने आ जाएगा। इस संबंध मे पूछे जाने पर जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने कहा कि शासन की मंशा के अनुरूप सेक्योर साफ्टवेयर के विपरीत यदि मनरेगा का संचालन मिला तो जिम्मेदारों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। पूरे जिले मे इस गंभीर प्रकरण की जांच कराई जाएगी।