रिपोर्ट
उमेश बंशल
लखीमपुर-खीरी संदेश महल समाचार

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे व मुख्य आरोपी आशीष मिश्र मोनू समेत सभी 13 आरोपियों पर दुर्घटना की धाराएं हटाकर हत्या की कोशिश व अंग भंग करने की धाराएं बढ़ाई गई हैं। सीजेएम कोर्ट में दाखिल हुए सभी 13 आरोपियों पर अदालत ने हत्या की कोशिश की धारा 307, अंगभंग 326, शस्त्र के दुरुपयोग की धारा 3/25/30 व शस्त्र अधिनियम की धारा 35 की बढ़ोतरी की है। इससे पहले जांच टीम ने सोमवार को अदालत में अर्जी दाखिल कर सभी आरोपियों पर दुर्घटना की धाराएं हटाकर हत्या के प्रयास और साजिश की धाराएं बढ़ाने के लिये अर्जी दाखिल की थी, जिस पर अदालत ने सभी 13 आरोपियों को मंगलवार तलब किया था।
तिकुनिया कांड के 70 दिन बाद मामले की जांच कर रही जांच टीम ने माना कि तिकुनिया कांड में तीन अक्तूबर को हुआ खूनी संघर्ष दुर्घटना नहीं थी, बल्कि यह हत्या की सोची समझी साजिश थी। 70 दिन बाद सोमवार को जांच टीम की तरफ से सीजेएम अदालत में पेश हुए मुख्य विवेचक विद्याराम दिवाकर ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मुख्य आरोपी आशीष मिश्र समेत सभी 13 आरोपियों पर से दुर्घटना की धारा हटाने व हत्या की कोशिश समेत अन्य धाराएं बढ़ाने की अपील की थी, जिस पर कोर्ट ने सभी 13 आरोपियों को मंगलवार को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। मंगलवार दोपहर को कोर्ट में सभी आरोपियों के पेश होने के बाद सुनवाई के दौरान अदालत ने सभी 13 आरोपियों पर हत्या की कोशिश, शस्त्र के दुरुपयोग व शस्र अधिनियम की धारा 35 को बढ़ाया है।
विवेचक की अर्जी पर अदालत ने बढ़ाईं गंभीर धाराएं
सीजेएम की अदालत में किसानों की हत्या मामले और 219 नंबर मुकदमे के विवेचक विद्याराम दिवाकर ने कोर्ट को बताया था कि यह उपेक्षापूर्वक गाड़ी चलाते हुए जान लेने की दुर्घटना का मामला नहीं है, बल्कि हत्या की सोची समझी साजिश है। विवेचक ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अदालत से दुर्घटना से जुड़ी धाराएं 279, 338, 304 ए की धाराएं हटाकर सभी आरोपियों के एक राय होकर जानलेवा हमला करने और अंगभंग करने की धाराएं 120 बी, 307, 34 और 326 बढ़ाने की अपील की थी। मामले में सुनवाई करते हुए सीजेएम चिंताराम ने जांच टीम को सभी आरोपियों के वारंट से दुर्घटना से जुड़ी आईपीसी की धाराएं 279, 338, 304ए को हटाकर हत्या की कोशिश की धारा 307, अंगभंग की धारा 326, शस्त्र दुरुपयोग व शस्त्र अधिनियम की धारा 35 को बढ़ाने की अनुमति प्रदान दे दी है।
वकील के विरोध पर धारा 34 हटी
जांच टीम की तरफ से सीजेएम कोर्ट में सभी 13 आरोपियों पर 120 बी, 307, 34 और 326 की धाराएं बढ़ाने की अपील की गई थी। जिस पर सुनवाई के बाद बचाव पक्ष के वकील अवधेश सिंह ने बताया कि उन्होंने अदालत से आग्रह किया है कि वह जांच टीम की सारी बातें न मानें, क्योंकि जांच टीम ने धारा 34 बढ़ाने की बात कही है, जबकि पहले से ही 149 की धारा लगी हुई है। ऐसे में धारा 34 और 149 एक साथ नहीं लगाई जा सकती। उन्होंने शस्त्र के दुरुपयोग की धारा 3/25/30 का भी विरोध किया। जिस पर सुनवाई के बाद अदालत ने सभी 13 आरोपियों पर से दुर्घटना से जुड़ी आईपीसी की धाराएं 279, 338, 304ए को हटाकर हत्या की कोशिश की धारा 307, 326, शस्त्र दुरुपयोग 3/25/30 व शस्त्र अधिनियम की धारा 35 को बढ़ाने की अनुमति प्रदान की है।
आरोपियों का पल-पल बदलता रहा रंग
विवेचक की ओर से अदालत को दी गई अर्जी के बाद पूरे मामले की तस्वीर ही बदल गई। ऐसे में आरोपियों की निगाहें मंगलवार की कोर्ट सुनवाई पर टिकी हुई थी।
मंगलवार को 2:35 पर जैसे ही मुख्य आरोपी आशीष मिश्र मोनू, अंकित दास, सभासद सुमित जायसवाल समेत 13 आरोपी अदालत में पेश हुए तो उनके चेहरे पर असमंजस का भाव दिखाई पड़ा। हालांकि बचाव पक्ष के वकील अवधेश सिंह,चंद्र मोहन सिंह, शैलेंद्र सिंह गौर और वरिष्ठ अधिवक्ता आरोपियों को आश्वस्त करते दिखाई दिए, मगर आरोपियों के चेहरे पर बेचैनी का भाव दिखाई पड़ रहा था। वहीं, अभियोजन टीम में भी असमंजस का माहौल दिख रहा था।
बचाव पक्ष की ओर से धारा 341, आईपीसीसी की धारा 149 को लेकर विरोध शुरू हुआ तो अभियोजन पक्ष के लिए यह अकस्मात दलील थी, जिसका जवाब ढूंढना अभियोजन से जुड़े अधिकारियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। सीजेएम चिंताराम ने बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद जहां अभियोजन पक्ष को दो बार सुना। तो वही बचाव पक्ष के लोगों ने तीन तीन बार अदालत को संबोधित किया। 2:50 बजे दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला रिजर्व कर लिया था। करीब 4:45 बजे अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए धारा 34 हटा दी। इसके साथ ही सभी आरोपियों पर 307 और 326 की धाराएं बढ़ा दीं। अदालती सुनवाई के दौरान पूरा मोर्चा सहायक अभियोजन अधिकारी प्रदीप कुमार और सुभाष चंद्र यादव पर ही टिका हुआ था। प्रयागराज में तैनात अपर निदेशक अभियोजन राजेश श्रीवास्तव और जांच टीम के लिये विशेष रूप से तैनात किए गए एसपीओ अवधेश सिंह रूम में कहीं नजर नहीं आए। जांच टीम और अदालती सुनवाई में बचाव पक्ष का मुकाबला करने वाले अभियोजन अधिकारियों के बीच कोई होमवर्क नहीं दिखाई पड़ा, फिर भी बचाव पक्ष की ओर से अचानक उठाई गई आपत्तियों का अभियोजन अधिकारियों ने माकूल जवाब दिया।
अंकित दास के घर मिली थी गनर लतीफ उर्फ काले की बंदूक

तिकुनिया कांड से जुड़े मामले में लाइसेंसी शस्त्र के दुरुपयोग की धारा 3/25/30 सपठित 35 की धारा लगाई गई है। तफ्तीश करने के दौरान जांच टीम को अंकित दास के गनर लतीफ उर्फ काले की लाइसेंसी बंदूक अंकित दास के घर से
मिली थी, जिसके बाद ही शस्त्र दुरुपयोग की धारा लगाई गई है।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी ने जिला जेल में की बेटे से मुलाकात
सभी 13 आरोपियों को सीजेएम कोर्ट में तलब किया गया था, जिसके बाद से सुबह से ही जिला जेल से लेकर कोर्ट तक पुलिस बल व अन्य लोगों की गहमागहमी दिखी। वहीं, अदालत में पेशी पर जाने से पहले केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी ने जेल में बंद बेटे आशीष मिश्र मोनू से मुलाकात की।
जांच टीम की तरफ से सीजेएम कोर्ट में तिकुनिया कांड मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्र समेत सभी 13 आरोपियों पर दुर्घटना की धाराएं हटाकर हत्या की कोशिश समेत अन्य धाराएं बढ़ाने की दाखिल अर्जी पर अदालत ने सभी आरोपियों को मंगलवार को पेश करने के लिए जेल अधीक्षक को आदेशित किया था। इसके बाद मंगलवार को सुबह से ही जिला जेल व अदालत के बाहर लोगों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया था। इससे पहले आरोपियों से मिलने का सिलसिला भी चला। सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे अजय मिश्र टेनी और सदर विधायक योगेश वर्मा आशीष मिश्र से मिलने जिला जेल पहुंचे। करीब आधे घंटे बाद 12 बजे केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की गाड़ी जिला जेल से बाहर निकली। इस दौरान मीडिया ने उन्हें घेर लिया। सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि वह पिता की हैसियत से अपने बेटे से मिलने गए थे।
लगभग 20 मिनट चली सुनवाई
13 आरोपियों पर जानलेवा हमले समेत अन्य धाराएं बढ़ाने को लेकर सीजेएम कोर्ट में करीब 20 मिनट सुनवाई हुई। इसके बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया। अदालत ने शाम को जांच टीम को धाराएं बढ़ाने की अनुमति प्रदान की।सभी 13 आरोपियों को बंदी वाहन से जिला जेल से कोर्ट लाया गया। आरोपियों को लाने के लिए जिला जेल में दोपहर दो बजे गाड़ी लग गई थी। करीब 10 मिनट बाद सभी आरोपियों को एक साथ गाड़ी में बैठाकर कोर्ट परिसर में ले जाया गया। 2 बजकर 14 मिनट पर कोर्ट के अंदर गाड़ी दाखिल हुई।