वैद्य ईट भट्टों का चिन्हांकन प्रत्येक दशा में कर लें- जिलाधिकारी

रिपोर्ट/-प्रवीन कुमार मैनपुरी संदेश महल समाचार

  • जिलाधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह ने ईंट भट्टों के संचालन के संबंध में राष्ट्रीय हरित अधिकरण में दाखिल रिट के संबंध में आयोजित बैठक में उपस्थित उप जिलाधिकारियों, क्षेत्राधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि दि. 26 जनवरी तक प्रत्येक दशा में अपने-अपने क्षेत्र के संचालित वैद्य ईट भट्टों का चिन्हांकन प्रत्येक दशा में कर लें, किसी भी क्षेत्र में बिना अनुमति के कोई भी ईंट भट्टा संचालित न हो, संचालित ईट भट्टांे पर समस्त अभिलेख उपलब्ध रहें, जिन भट्ठा स्वामियों द्वारा अभी तक ईंट के निर्माण में भू-गर्भ जल का प्रयोग अवैध रूप से किया जा रहा है, उन्हें तत्काल अनुमति प्राप्त करने हेतु ऑनलाइन आवेदन करने हेतु निर्देशित किया जाए। उन्होने खनन निरीक्षक को निर्देशित करते हुये कहा कि सभी ईंट भट्टों से तत्काल रॉयल्टी की धनराशि जमा कराना सुनिश्चित करें, सभी ईंट भट्टा संचालक निर्धारित शर्तों, नियमों का पालन सुनिश्चित करते हुये भट्टों का संचालन करें।श्री सिंह ने कहा कि सभी नए ईंट भट्टों को केवल जिग-जैग तकनीक, वर्टिकल शाफ्ट के साथ होने या ईंट बनाने में ईंधन के रूप में पाइन्ट प्राकृतिक गैस के उपयोग की अनुमति दी जाएगी और इस अधिसूचना में निर्धारित मानकों का पालन करना होगा। संचालित ईंट भट्टे जो जिग-तकनीक या वर्टिकल शाफ्ट या ईट बनाने में ईंधन के रूप में पाइ प्राकृतिक गैस (पीएनजी) के उपयोग का पालन नहीं कर रहे हैं, उन्हें गैर-प्राप्ति शहरों के 10 किमी के दायरे में स्थित भट्टी के मामले में एक वर्ष, अन्य क्षेत्रों के लिए 02 वर्ष की अवधि के भीतर जिंग-जैंग तकनीक या वर्टिकल शाफ्ट में परिवर्तित किया जाएगा या पीएनजी का उपयोग ईंट बनाने में ईंधन के रूप में किया जाएगा, इसके अतिरिक्त, ऐसे मामलों में जहां केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्रदूषण नियंत्रण समितियों में रूपांतरण के लिए अलग से समय-सीमा निर्धारित की है, वहां ऐसे आदेश प्रभावी होंगे, सभी ईंट भट्टे केवल अनुमोदित ईंधन जैसे पाइपड प्राकृतिक गैस, कोयला, ईंधन लकड़ी, कृषि अपशिष्टों का उपयोग करेंगे, पेट कोक, टायरों, प्लास्टिक, खतरनाक अपशिष्टों के उपयोग की अनुमति ईंट भट्टों को नहीं होगी।किसी क्षेत्र में भट्टों की अधिक संख्या से बचने के लिए मौजूदा ईंट भट्टों से कम से कम एक किलोमीटर की दूरी पर ईंट भट्टों को स्थापित किया जाये, ईंट भट्टों को संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्रदूषण नियंत्रण समितियां द्वारा निर्धारित उत्सर्जन प्रक्रिया, पलायक, धूल उत्सर्जन नियंत्रण दिशा-निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन करना होगा।जिलाधिकारी ने कहा कि ईंट भट्टों से निकलने वाली राख को ईंट बनाने में उसी परिसर के अंदर ही इस्तेमाल किया जाए, ईट भट्टे में ईंट बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली मिट्टी को निकालने के लिए खनन विभाग सहित सबंधित प्राधिकरणों से सभी आवश्यक अनुमोदन प्राप्त किया जाएं। ईंट भट्टा मालिक सुनिश्चित करें कि कच्चे माल, ईंटों के परिवहन के लिए उपयोग की जाने वाली सडकें पक्की हों, कच्चे माल, ईटों के परिवहन के दौरान वाहनों को ढका जाए, बिना ढके किसी भी दशा में कच्चे माल, ईंटों का परिवहन न किया जाये। बैठक में अपर जिलाधिकारी राम जी मिश्र, प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी एस.एन. मौर्य, उप जिलाधिकारी सदर, भोगांव, घिरोर, कुरावली नवोदिता शर्मा, अंजलि सिंह, शिव नारायण, युगान्तर त्रिपाठी, समस्त क्षेत्राधिकारी, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत ओ.पी.सिंह, उपायुक्त उद्योग मोहम्मद सऊद, ईंट भट्टा एसोसिएसन अध्यक्ष सुनील वर्मा आदि उपस्थित रहे।
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