शहरों के बस नाम बदल जाने से क्या होगा शहरों की बदहाली पर कुछ गौर करो साहब

 

रिपोर्ट
विनोद कुमार दूबे
संतकबीरनगर संदेश महल समाचार

उ प्र सद्भावना कमेटी की जानिब से शहीद मुहीबुलाह स्टेडियम सेमरियावां में आल इंडिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया गया।नौ बजे शुरू होकर दो बजे तक निर्बाध रूप से जारी रहा।
कार्यक्रम में शामिल शायरों और कविगण ने आपसी भाईचारा ,प्रेम मुहब्बत और सद्भाव के संदेश बांटे। साथ ही टीपू को सुलतान बनाने का संदेश भी दे गए।सभी शायरों ने खुलकर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की खुलकर प्रशंसा की। पूरे जिले के समाजवादी पार्टी के छोटे बड़े नेताओं ने इस मुशायरे में अपनी हाजिरी लगाई। जिसमें कई टिकट के दावेदार भी शामिल रहे।
सद्भावना कमेटी के चेयरमैन आजाद अहमद,यासिर सिद्दीकी और मुनीर अहमद खान ने सभी आगंतुक शायरों का बुके और शाल भेंट कर सम्मानित किया।
मुशायरा का संचालन नदीम फर्रुख ने कामयाबी के साथ किया।
मुंबई से आईं राना तबस्सुम ने गीत पेश कर कार्यक्रम का आगाज किया।क्नवेनर मुशायरा और शायर शहजादा कलीम ने अपने संबोधन में कहा की देश प्रदेश में नफरत की आंधी आखिरी स्टेज में है।आपसी सद्भाव एकता अखंडता समाज निर्माण के लिए बेहद जरूरी है।सभी मजहब के लोग आपस में मिलकर रहे। पूर्व की तरह राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाकुल्लाह को साथ साथ रहने की जरूरत है। सभी जाति धर्म का सम्मान जरूरी है ।

राना तब्ससुम्म मुंबई के
गीत

तुम भी गाओ हम भी गाएं
मिलके सब वतन के लिए
अंगलिया न उठे किसी जाति धर्म पर
मिलके सब वतन के लिए जश्न मनाएं

असद बस्तवी ने अपना कलाम यूं पेश किया

जो सिर्फ लिखे झूठ वो अखबार बदल दो
उठो चलो ये जुल्म का बाजार बदल दो

ज्योति त्रिपाठी ने कहा

चांद फलक तारों से क्या उम्मीद करें
फर्जी बंजारों से क्या उम्मीद करें
सभी रंगों के फूलों से
चमन गुलजार होता है

आबाद सुल्तानपुरी

जाती धर्म को दूर करो
पूछ रहा मजदूर अब
कब अच्छे दिन आयेंगे

असद मेहताब ने कहा

एक हाथ में गंगाजल
एक में जमजम रखना
लाल रंग का खून है तन में
खून का महत्व हर इक जीवन में
प्यार का दीप जलाना बहुत जरूरी है
खंजर न दिल पे तीर चलाने की बात कर
आपस के इख्तेलाफ मिटने की बात कर
हम अहिंसा के पुजारी
अमन के शैदा

आजाद प्रतापगढ़ी ने कहा कि

इस मुल्क की मिट्टी में हमारा भी लहू है
अजदाद हमारे इसी मिट्टी में गड़े हैं

शिव शरण बन्धु ने यह पंक्ति पेश की

मंजिल पर हो नजर तुम्हारी
इधर उधर तुम भटक न जाना
अगर बनाना है यार हुकूमत
टिकट न पाना तो छटक न जाना

सबा बलरामपुरी का यह शेर

पुर अमन जिंदगी की हिमायत क्या करो
नफरत बुरी बला है मुहब्बत किया करो
इक बात आज तुमको बताती हूं काम की
इज्जत जो चाहते हो इज्जत किया करो

जौहर कानपुरी ने कहा कि

कह रहे हैं अब यह हालात
कुछ महीनों में तेरी घर वापसी हो जायेगी

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