शिक्षा संकट: जब ताले पड़े हों स्कूलों पर और शिक्षक हो नदारद…?

रिपोर्टर: संदेश महल संवाददाता, बाराबंकी
विभाग: शिक्षा — ज़मीनी पड़ताल | दिनांक: 17 अप्रैल 2025

“गांव में स्कूल है, लेकिन पढ़ाई नहीं… क्योंकि गुरुजी ही नहीं आते।”
यह सिर्फ एक मासूम सी आवाज़ नहीं, यह पूरे बाराबंकी की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था का आईना है।
नया शिक्षा सत्र शुरू हुआ है, उम्मीद थी कि इस बार कुछ बदलेगा। लेकिन ज़मीनी हकीकत एक बार फिर से चिंता बढ़ाने वाली है।

41 शिक्षक गैरहाजिर, 3 स्कूलों में ताले — बच्चों का भविष्य अधर में

दो से 12 अप्रैल तक बेसिक शिक्षा विभाग के खंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा किए गए निरीक्षण में चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई।

41 शिक्षक-शिक्षिकाएँ अपनी ड्यूटी से अनुपस्थित पाए गए।

तीन विद्यालयों में तो ताले लटकते मिले।

निरीक्षण के दौरान मल्लाहनपुरवा, निंदूरा, और सारी गौरा के स्कूल पूरी तरह बंद थे।

बीएसए संतोष देव पांडेय ने सभी गैरहाजिर शिक्षकों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब माँगा है और वेतन रोकने की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।

ब्लॉकवार स्थिति — कहां कितने अनुपस्थित?

सूरतगंज: 10, फतेहपुर: 9, बनीकोडर: 7
रामनगर: 5, बंकी: 4 निंदूरा: 2 दरियाबाद, देवा, हरख, सिद्धौर, त्रिवेदीगंज: 1-1

समस्या सिर्फ ड्यूटी से गैरहाजिरी नहीं है… यह जवाबदेही का संकट है

‘संदेश महल’ यह मानता है कि शिक्षा सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे समाज की साझी जवाबदेही है। जब स्कूल बंद मिलते हैं, और शिक्षक नदारद होते हैं, तो सबसे बड़ा नुकसान उन बच्चों का होता है जिनके पास विकल्प नहीं हैं।

‘संदेश महल’ का सवाल —

1. शिक्षा विभाग केवल वेतन रोकने तक सीमित क्यों है?
2. क्या ग्राम स्तर पर सतत निगरानी की कोई ठोस व्यवस्था है?
3. अभिभावकों और पंचायतों की भूमिका क्या होनी चाहिए?

संदेश महल एक जनपक्षधर मंच है।
हम आवाज़ बनते हैं उन लोगों की, जिनकी आवाज़ अक्सर दबा दी जाती है।
क्योंकि बदलाव वहीं से शुरू होता है, जहां सवाल उठते हैं।

आपका क्या मानना है?

क्या आपके गांव या क्षेत्र में भी ऐसी स्थिति है?
क्या आपने कभी स्कूल बंद पाया है या शिक्षक को लंबे समय तक गायब?

हमें लिखें, बताएं, तस्वीरें भेजें —

sandeshmahal@gmail.com
ईमेल करें: वाट्स अप
9455542358,6306315316

अगली कड़ी में:
‘गांवों में डिजिटल शिक्षा योजना — सपना या धोखा?

error: Content is protected !!