रिपोर्ट
जेपी रावत
बाराबंकी संदेश महल समाचार
बाराबंकी जिले के वन रेंज फतेहपुर सर्किल एरिया में वन रक्षक ही वन भक्षक बने हुए हैं। इसी कड़ी में विकास खंड सूरतगंज एरिया में तैनात वन रक्षक महेंद्र का नाम चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्रों का कहना है कि इनकी कार्यशैली सिर्फ अवैध धन उगाही पर ही चलती है। पैसा दो पेड़ प्रतिबंधित हो या फिर छूट का इनसे मतलब नहीं है। महेंद्र की मेहरबानी के चलते जहां लकडकट्टो के हौसले बुलंद हैं वहीं खुलेआम वन विभाग की लापरवाही के चलते जंगलों से हरियाली गायब हो रही है, वन विभाग आखिर चुप्पी क्यों साध रखी है। जिस पर नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कुछ लोगों ने बताया कि क्षेत्रीय वन रक्षक को मोटी रकम का चढ़ावा दिया जाता है। फिर हम लोग क्यों न खुलेआम पेड़ों की कटाई करें।

वन विभाग के जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते हरे पेड़ों की वेशकीमती लकड़ियों पर लोग हाथ साफ कर रहे हैं और वन विभाग मौन रहकर उन्हें बढ़ावा दे रहा है। यदि यह प्रतिबंधित शीशम जैसे पैडों की कटान नहीं हुई तो यह लकड़ी आखिर कैसे हुई स्टोर यह नजारा कहीं और का नहीं है। कस्बे में एक मशहूर स्थल की दीवारों के किनारे सुरक्षित है।
क्या वन रक्षक की इसकी जानकारी नहीं है,जी हां हैं। बस यह एक नजारा उनकी हिमायत और मेहरबानी की मिसाल पेश है।
प्रतिबंधित लकड़ियां धीरे-धीरे गायब हो रही हैं। लोग लकड़ियों को काटकर ले जा रहे हैं।
इस अवैध कटाई पर वन विभाग मौन है।वन विभाग ने पेड़ों की रखवाली के लिए वन रक्षक चौकी बनवाया, ताकि व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते कर्मचारी मनमाने ढंग से आते जाते हैं। कीमती लकड़ियां गायब हो रही हैं।