अशोक अवस्थी लहरपुर सीतापुर संदेश महल
भारत के यशस्वी क्रांतिकारी नायकों में अपना प्रमुख स्थान पाने वाले महाराणा प्रताप शौर्य पराक्रम तथा देश भक्ति के महान पुरोधा थे उनका जन्म राजस्थान के कुंभलगढ़ में महाराणा उदय सिंह पिता एवं माता रानी जयंता कुंवर के यहां हुआ था सिसोदिया वंश में राणा जेष्ठ शुक्ल तृतीया रविवार 9 मई 1940 को मेवाड़ की बीरभूम पर आए थे।उदय सिंह के और भी रानियां थी एक से जगमाल तथा दूसरी रानी पर शक्ति सिंह और सागर सिंह थे।महाराणा प्रताप का विराट व्यक्तित्व था वह 7 फिट 6 इंच लंबे थे उनका वजन 110 किलोग्राम था महान बलशाली और पराक्रमी राणा प्रताप का सुरक्षा कवच 72 किलो तथा उनके भाला का वजन 80 किलो था कवच भाला ढाल तलवार मिलाकर 2 कुंटल लोहा धारण करके वह युद्ध करते थे
महाराणा प्रताप दोनों हाथों से तलवार चलाने में सिद्ध हस्त थे।प्रताप के भाई राज्य सिंहासन चाहते थे परंतु प्रजा राज परिवार तथा सेना सहित सारे राजदरबारी राणा प्रताप के पक्ष में थे 27 वर्ष की उम्र में उनका राज्याभिषेक गोगुंदा में 1572 में हुआ गद्दी पर बैठते ही राणा प्रताप के ऊपर चारों तरफ से संकट आ गया जगमाल और शक्ति सिंह अकबर से मिल गए थे। परम महान योद्धा राणा प्रताप ने कभी हार नहीं मानी और निरंतर लड़ते रहे।
हल्दीघाटी का प्रसिद्ध युद्ध उनकी वीरता का साक्षी रहा 17000 लोग मारे गए थे झाला मानसिंह ने अपने प्राण देकर राणा प्रताप की रक्षा की और उन्हें युद्ध के मैदान पर बाहर किया तब उनके भाई शक्ति सिंह ने अपना घोड़ा देकर उन्हें युद्ध मैदान से निकल जाने में सहायता की थी तमाम संकट कास्ट सपरिवार उठाकर भी प्रताप ने अकबर की अधीनता नहीं स्वीकार की जहां युद्ध 18 जून 1576 में हुआ था।जहां मुगल सेनापति मानसिंह थे वही राणा प्रताप का सेनापति हातिम खान सूरी था राणा प्रताप के पास 20000 सैनिक थे और मुगल सेना में 80000 सैनिक बादको भामाशाह ने अपनी संपूर्ण दौलत राणा प्रताप को दान कर दी जिससे राणा प्रताप ने अपनी सेना का निर्माण करके अपने खोए हुए इलाकों को वापस लिया महाराणा प्रताप आजीवन संघर्ष करते रहे उनके घोड़े का नाम चेतक और हाथी का नाम रामप्रसाद था यह दोनों हल्दीघाटी के युद्ध में शहीद हो गए थे महाराणा प्रताप हमारे आदर्श हैं तथा प्रेरणा स्रोत है उनकी जीवनी हमें राष्ट्र भक्ति संघर्ष शौर्य और पराक्रम की प्रेरणा देती हैैैैैैैैैैैैैै।