रिपोर्ट/- रामकुमार मौर्य बाराबंकी संदेश महल समाचार
लोधेश्वर महादेवा में शिव अभरण तालाब बन गया कचरा घर नामक शीर्षक के साथ 2 जुलाई को प्रमुखता सेे संदेश महल समाचार पत्र ने खबर प्रकाशित किया था।
सप्ताह बाद प्रशासन हरकत में आया और पौराणिक अभरण तालाब की सफाई कार्य शुरू हो गया है। हकीकत यह है कि सुप्रसिद्ध लोधेश्वर महादेवा तीर्थ स्थल परिसर में बना शिव अभरन तालाब की सफाई की ओर अब तक कोई पहल नहीं हो पाई है। देखरेख के अभाव में बढ़ती गंदगी के कारण अपना अस्तित्व खोता जा रहा था। शिव अभरन तालाब घाट में पॉलीथिन अपशिष्ट पदार्थों का ढेर लगा हुआ है।
लोधेश्वर महादेवा स्थिति अभरण तालाब
सावन महीना शुरू होने में चंद्र दिन शेष बचे हैं। अब प्रशासनिक अधिकारियों के होश आया कि लोधेश्वर महादेवा में लगने वाला मेला शुरू होने वाला है। यह मेला एक माह तक चलता रहता है। इस मेले में दूरदराज से काफी संख्या में शिव भक्त गण भगवान शिव जी का जलाभिषेक करते है ।यह महीना भगवान शिव जी का बहुत ही प्रिय महीना माना जाता है यहां पर आज से साफ सफाई का कार्य शुरू हुआ है आवरण तालाब में सफाई का कार्य प्रारंभ हो गया है तालाब में फैले कमल फूल के पौधों को काटकर बाहर निकाला जा रहा है।
यहां पर कोई मेला शुरू होता है तभी यहां की साफ सफाई होती है बाकी दिनों में पूरे मेला क्षेत्र में गंदगी का साम्राज्य फैला रहता है छुट्टा जानवरों का मल मूत्र नालियों का गंदा पानी कीचड़ पूरे क्षेत्र में जगह जगह पर फैला हुआ है। अभी तक यहां पर सालों से खराब पड़े नल व प्रकाश की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जबकि 14 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो रहा है जो 12 अगस्त तक निरंतर चलेगा।
दुकानदारों का आना प्रारंभ हो गया है लोधेश्वर महादेवा का सावनी मेला सबसे बड़ा मेला है जो एक माह तक चलता रहता है सावन के हर सोमवार को यहां पर काफी भीड़ देखने को मिलती है पिछले सावन माह में मेले के समय यहां पर दर्दनाक घटना हो गई थी लेकिन आज भी प्रशासन बिल्कुल सुस्त पड़ा हुआ है कोई अधिकारी व कर्मचारी आपने कर्तव्य को निभाना नहीं चाहते हैं इसलिए ऐसी दर्दनाक घटनाएं होती रहती हैं घटना होने के बाद यहां पर प्रशासन पूर्ण रूप से चौकन्ना हो जाता है। और इतनी शक्ति कर देता है कि कोई भी शिव भक्त गण सहज में भगवान शिव के दर्शन पूजन नहीं कर पाते हैं जबकि सावन के महीने में शिव भक्त गण रविवार की रात यहां पर आकर डेरा डाल देते हैं और सोमवार के दिन पूजन अर्चन करने के बाद अपने घरों को वापस जाते हैं।