रामकुमार मौर्य
बाराबंकी संदेश महल समाचार
रामनगर बाराबंकी। नया शिक्षा सत्र प्रारंभ होते ही क्षेत्र में प्राइवेट स्कूलों की झड़ी लग गई। जहां देखो वहां प्राइवेट स्कूल नए-नए खुल रहे हैं ।इन स्कूलों में न तो कोई मानक है और न ही उनकी मान्यता है। इन विद्यालयों में फीस इतनी हाई-फाई है की प्रतिवर्ष अभिभावकों की जेबों पर डाका पड़ रहा है। इन विद्यालयों के संचालक ऐसे लुभाने सपने दिखाते हैं की ग्रामीण अंचल के लोग इनके झांसे में फस जाते हैं। और जब यह लोग फस जाते हैं तो हर महीना फीस के नाम पर अच्छी खासी वसूली करते हैं। उसके बावजूद परीक्षा के समय एग्जामिनर के नाम पर भी वसूली करते हैं ।बहुत से विद्यालय के कर्मचारी अभिभावकों को बताते हैं कि हमारे विद्यालय में बाहर से शिक्षण कार्य के लिए अध्यापकों को लगाया गया है। उनके द्वारा आपके बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दी जाएगी। इसके अलावा आवागमन के नाम पर वाहन का भी किराया बच्चों की फीस मे जोड़ दिया जाता है। इस प्रकार से ऐसे विद्यालय प्रत्येक अभिभावक से 1 वर्ष में लाखों की कमाई करते हैं। इनके विद्यालय में पढ़ाए जाने वाले कोर्स भी काफी महंगे हैं तथा ऐसे विद्यालयों की दुकाने पहले से सेट हैं ।अभिभावकों को बताया जाता है की इन दुकानों पर बच्चों का कोर्स मिलेगा और कहीं नहीं मिलेगा। जो दुकाने जिस विद्यालय का कोर्स बांधती हैं दुकानदार द्वारा विद्यालयों को अच्छा खासा कमीशन दिया जाता है ।इसलिए छोटे क्लासों के बच्चों की एक पुस्तक की कीमत 200 से 250 रुपए है। ऐसी स्थिति में नर्सरी का कोर्स 3000 से लेकर ₹5000 तक बनता है। इस समय क्षेत्र में अनेक ऐसे विद्यालय चल रहे हैं जिनकी मान्यता नहीं है। फिर भी बोर्ड लगाकर नर्सरी से कक्षा आठ और कक्षा 6 से 12 तक खुलेआम चल रहे हैं। जबकि ज्यादातर स्कूलों के बच्चों का प्रवेश दूसरे विद्यालयों में है। लेकिन इनकी पढ़ाई और विद्यालय में चल रही है। सरकार शिक्षा के लिए पानी की तरह पैसा बाहर ही है ।लेकिन सरकारी स्कूलों की दशा में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है और न ही क्षेत्र में चल रहे बिना मान्यता प्राप्त विद्यालयों के विरुद्ध कोई कार्रवाई हो पा रही है। सरकार को चाहिए कि ऐसे विद्यालयों की चेकिंग करके उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए ।जिससे अभिभावकों के मेहनत का पैसा बच सके और परिवार का सुचार रूप से पालन पोषण हो सके। क्योंकि इस संबंध में अनेक अभिभावकों ने बताया की पहले इन विद्यालयों में प्रवेश के लिए अनेक तरह की बातें बताई जाती हैं ।लेकिन जब हम लोग अपने बच्चों का प्रवेश दिला देते हैं। तो केवल पढ़ाई के नाम पर पैसा ऐठने का काम किया जा रहा है।