सुभाष चंद्र बोस ने रंगून रेडियो से गांधी जी को राष्ट्रपिता कह कर किया था संबोधित

अशोक अवस्थी
लहरपुर सीतापुर संदेश महल

भारत की गुलामी के विरुद्ध संघर्ष करने वाले मोहनदास करमचंद गांधी और लाल बहादुर शास्त्री बहुत ही सम्मान के साथ याद किए जाते हैं उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्रहित में लगा दिया सभी के प्रति समान व्यवहार इन दोनों की खास पहचान रही महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 18 69 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था उनके पिता पोरबंदर रियासत के दीवान थे गांधी जी के जीवन पर उनकी मां पुतलीबाई का गहरा असर पड़ा वह बहुत धार्मिक तथा आदर्शवादी महिला थीं स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायक के रूप में गांधी जी को देखा गया सत्याग्रह और अहिंसा उनके मूल मंत्र थे इन्हीं सिद्धांतों ने पूरी दुनिया में लोगों को नागरिक अधिकारों तथा स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया सुभाष चंद्र बोस जैसे प्रखर राष्ट्रवादी नेता ने रंगून रेडियो से 1944 में गांधी जी को राष्ट्रपिता कह कर संबोधित किया था जो उनकी लोकप्रियता तथा सम्मान का सूचक है उन्हें 1930 में नमक सत्याग्रह फिर 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन से बहुत ख्याति मिली गोपाल कृष्ण गोखले के कहने पर गांधीजी ने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़कर भाग लिया गांधी जी की हत्या नाथूराम गोडसे ने अपने सहयोगी के मिलकर बिरला हाउस दिल्ली में उस समय कर दी जब वहां प्रार्थना सभा होने वाली थी 30 जनवरी 1948 शाम 5:00 बज कर 17 मिनट पर हत्यारों ने उन्हें गोली मार दी
आज ही के दिन 2 अक्टूबर उन्नीस सौ चार को मुगलसराय में वाराणसी से 7 किलोमीटर कस्बे में लाल बहादुर शास्त्री का जन्म हुआ उनके पिता स्कूल के शिक्षक थे 19 27 को उनकी शादी मिर्जापुर से ललिता देवी के साथ हुई वह महात्मा गांधी के आंदोलन से प्रभावित होकर उन्हीं के साथ हर आंदोलन में भाग लेने लगे लाल बहादुर शास्त्री कुल मिलाकर 7 वर्ष तक जेल में रहे उत्तर प्रदेश में गृहमंत्री इसके बाद 1951 में केंद्रीय रेल मंत्री परिवहन मंत्री आदि कई विभागों को देखते रहे शास्त्री जी नौ जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक देश के प्रधानमंत्री रहे शास्त्री जी को देश के लोग बहुत प्यार करते थे उनकी एक आवाज पर लाखों भारतीयों ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया था इससे उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है उनकी मृत्यु 11 जनवरी 1966 को ताशकंद रूस में हुई थी यह दोनों नेता आजीवन संघर्षरत रहे और देश सेवा में समर्पित रहे भारत के दोनों महान नेताओं को सादर प्रणाम

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