जेपी रावत
संदेश महल समाचार
सरकार ने विषम परिस्थिति में हिंसा करने वालों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया है।मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है।3 मई से हिंसा की शुरुआत हो चुकी थी। मैतेई समाज की मांग थी कि कुकी की तरह राज्य में शेड्यूल ट्राइब (एस टी) का दर्जा दिया जाए। 4 तारीख को थौबाल जिले में आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने को लेकर वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था जिसकी वजह से राज्य में चल रहे संघर्ष की जघन्य प्रकृति को एक बार फिर से उजागर किया। हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद से पूरा राज्य हिंसा की आग में समाना शुरू हो गया। और हिंसा की वजह से अब तक नौ हजार लोग विस्थापित हुए हैं। अभी तक राज्य सरकार यह बताने की स्थिति में नहीं है कि हिंसा में कितने लोगों की जान गई है और कितने लोग ज़ख़्मी हैं। एक नजर संरचना पर?
मणिपुर की भौगोलिक संरचना
मणिपुर की भौगोलिक संरचना में ही कई तरह की समस्याएं निहित हैं।यह एक फ़ुटबॉल स्टेडियम की तरह है। इसमें इंफ़ाल वैली बिल्कुल सेंटर में प्लेफ़ील्ड और बाक़ी चारों तरफ़ के पहाड़ी इलाक़े गैलरी की तरह हैं।
चार हाईवे में प्रदेश की लाइफ़लाइन हैं। ये दो हाइवे मणिपुर को बाक़ी दुनिया से जोड़ते हैं।मणिपुर के भूभाग पर ग़ैर जनजाति मैतेई समुदाय का दबदबा है। मैतेई समुदाय की हिस्सेदारी 64 फ़ीसदी से भी ज़्यादा है। कुल 60 विधायकों में 40 विधायक इसी समुदाय से हैं। 90 प्रतिशत पहाड़ी भौगोलिक क्षेत्र में प्रदेश की 35 फ़ीसदी मान्यता प्राप्त जनजातियां रहती हैं।इन जनजातियों से केवल 20 विधायक ही विधानसभा पहुँचते हैं। 33 समुदायों को जनजाति का दर्जा मिला है, वे नगा और कुकी जनजाति के रूप में जाने जाते हैं. ये दोनों जनजातियां मुख्य रूप से ईसाई हैं।
मणिपुर भारत के पूर्वोत्तर में स्थित राज्य है। मणिपुर की सीमा म्यांमार से लगती है। यहां अनुमानित 33 लाख लोग रहते हैं। जिसमें आधे से अधिक मैतेई समुदाय के लोग निवास करते हैं, जबकि लगभग 43 फीसदी कुकी और नगा समुदाय के लोग निवास करते हैं, जो प्रमुख अल्पसंख्यक जनजातियां मानी जाती हैं।
मणिपुर में इस साल मई में दो समुदाय बहुसंख्यक मैतेई और अल्पसंख्यक कुकी के बीच हिंसक झड़प देखने को मिली। इस हिंसा में अब तक कम से कम 130 लोग मारे गए हैं और 400 लोग घायल हुए हैं। हिंसा को रोकने के लिए सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस के संघर्ष के कारण 60,000 से अधिक लोगों को अपने घरों से दूसरी जगहों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
इन झड़पों के दौरान दोनों समुदायों ने कई जगहों पर तोड़फोड़ की और कई पुलिस थानों से हथियार भी लूट लिए। हिंसक झड़प के दौरान सैकड़ों चर्च और एक दर्जन से अधिक मंदिरों को भी तोड़ दिया गया और कई गाँव में आग लगा दी गई। तनाव तब और बढ़ गया जब कुकी समुदाय ने मैतेई समुदाय की आधिकारिक जनजातीय दर्जा दिए जाने की मांग का विरोध करना शुरू कर दिया। इसे लेकर कुकियों ने तर्क दिया कि इससे सरकार और समाज पर उनका प्रभाव और अधिक मजबूत होगा, जिससे उन्हें जमीन खरीदने या मुख्य रूप से कुकी क्षेत्रों में बसने की अनुमति मिल जाएगी। कुकियों का कहना है कि मैतेई के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा छेड़ा गया नशीली दवाओं के खिलाफ युद्ध उनके समुदाय को उखाड़ने का एक बहाना है।
मैतेई, कुकी और नगा मिलिशिया दशकों से परस्पर विरोधी मातृभूमि मांगों और धार्मिक मतभेदों को लेकर एक-दूसरे से लड़ते रहे हैं और सभी पक्ष भारत के सुरक्षा बलों के साथ भिड़ते रहे हैं। हालाँकि, हाल की ये लड़ाई पूरी तरह से मैतेई और कुकी समुदाय के बीच की है।
मैतेई की जड़ें मणिपुर, म्यांमार और आस-पास के क्षेत्रों में हैं। विशाल बहुमत हिंदू हैं। हालांकि, कुछ सनमही धर्म का पालन करते हैं। कुकी, ज्यादातर ईसाई, भारत के उत्तर-पूर्व में फैले हुए हैं और मणिपुर में उनमें से कई लोग अपनी जड़ें म्यांमार में भी खोज सकते हैं।
मैतेई ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि कुकी आस-पास की पहाड़ियों और उससे आगे के हिस्से में रहते हैं।
स्थानीय मीडिया के अनुसार, मई में यह हमला फर्जी रिपोर्टों के बाद हुआ था कि कुकी मिलिशिया मैन द्वारा एक मैतेई महिला के साथ दुष्कर्म किया गया था। जिसके बाद लोगों में काफी गुस्सा देखा गया। हमले का वीडियो सामने आने तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर हिंसा पर कोई भी बयान नहीं दिया था। लेकिन मानसून सत्र के पहले दिन उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि इस घटना ने “भारत को शर्मसार कर दिया है” और “किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा… मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता”।
मणिपुर में भाजपा शासन कर रही है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह हैं जो मैतेई समुदाय से आते हैं। राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से 40 सीटों पर मैतेई समुदाय का दबदबा है। क्योंकि उनकी जनसंख्या कुल आबादी की 53 फीसदी है।
कुकी समुदाय का कहना है कि हेरोइन के व्यापार के लिए पोस्ता की खेती को लेकर एन बीरेन सिंह के हालिया युद्ध ने कुकी क्षेत्रों को टारगेट किया है।
एन बीरेन सिंह की सरकार ने कुकी विद्रोही समूहों पर समुदाय को भड़काने का आरोप लगाया।
मणिपुर में जारी हिंसा के बीच एक वीडियो सामने आया है जिसमें महिलाओं को नग्न करके घुमाया जा रहा है। यह घटना राज्य की राजधानी इंफाल से लगभग 35 किलोमीटर दूर कांगपोकपी जिले के गांव बी. फीनोम में हुई। ग्राम प्रधान द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक, चार मई को शाम लगभग तीन बजे 900-1000 की संख्या में कई संगठनों से जुड़े हथियारबंद लोग बी. फीनोम गांव में जबरदस्ती घुस आए। हिंसक भीड़ ने पहले सभी घरों में तोड़फोड़ और आगजनी की।
बाद में इसी भीड़ द्वारा यहां की तीन महिलाओं को उनके कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया और भीड़ के सामने निर्वस्त्र कर दिया गया। हैवानियत यहीं सीमित नहीं रही, एक 21 साल की लड़की का दिन दहाड़े बेरहमी से सामूहिक दुष्कर्म किया गया। इसी दौरान बहन को बचाने आए 19 वर्षीय छोटे भाई की मौके पर ही हत्या कर दी गई। हालांकि, पीड़िता कुछ लोगों की मदद से मौके से भागने में सफल रहीं। वहीं वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने चार आरोपियों की गिरफ्तारी की है वही चारो आरोपियों को 11 दिन के लिए पुलिस रिमांड में भेज दिया गया है।