हीराराम सैन
राजस्थान संदेश महल समाचार
वर्षों से होली रात को नहीं होली के अगले दिन 12 बजे जलाई जाती है यहाँ की होली को देखने पुरे मेवाड़ वागड़ मेवल छप्पन के एवं आसपास के बांसवाड़ा डूंगरपुर उदयपुर सहित अन्य जिलों से लोग आते है। सलूम्बर। जिले की सबसे खास होली मानी जाने वाली होली गावड़ा पाल की होती है, सलूम्बर के पास स्थित आदिवासी क्षेत्र जो गावड़ा पाल गांव के नाम से जाना जाता है और इस गांव के 12 फले है। इस गांव की खास बात है कि यहां वर्षों से होली रात को नहीं होली के अगले दिन 12 बजे जलाई जाती है। यहाँ की होली को देखने पुरे मेवाड़ वागड़ मेवल छप्पन के एवं आसपास के बांसवाड़ा डूंगरपुर उदयपुर सहित अन्य जिलों से लोग आते है। पूरा प्रशासनिक व जिला प्रशानिक अमला व बड़े आला अधिकारी मौजूदगी मे होता है होली मे सलूम्बर जन प्रतिनिधि सलूम्बर एसडीएम सलूम्बर तहसीलदार और डिप्टी सीआई व जिला पुलिस अधिक्षक सहित पूरा प्रसासन मौजूद रहता है यहाँ हर वर्ष होली को देखने विशाल संख्या मे लोग आते है व होली का दहन दिन में शुभ महूर्त में किया जाता है उससे पहले गामड़ा हनुमंत मन्दिर मे आकर्षक श्रंगार वागा किया जाता है यहाँ जब होली जलाई जाती है तब होली दहन होने के बाद यहाँ के 12 फलों के सभी आदमी एक साथ गैर नृत्य करते है और इस गैर नृत्य में अहम ये होता है कि ये लोग गैर लकड़ी के लठ से नहीं तलवार से तलवार से गैर खेलते है। ये यहाँ की परम्परा है। यहाँ फिर दूसरे दिन धुलंडी व रंगोंत्स्व मनाया जाता है जिसमें लोग साल भर की मनमुटाव गुड़ खाकर भूल जाते है और गले मिलते है। बंदूकों से सलामी ली जाती है। दिन में होली जलाने की वजह ये है कि पूर्व में रात को विवाद होते थे इसलिए सभी दिन में होली जलाने लगे। लेकिन अब अभी मिलजुल कर होली मानते है।