सावन मास पर विशेष

भूत भावन भगवान भोलेनाथ के पूरे देश में अनेकानेक तीर्थ स्थान हैं लेकिन शायद ही आपने भोले के किसी ऐसे स्थान के बारे में सुना होगा जहां शिवलिंग किसी को दिखाई नहीं देता है।
आज आपको ले चलते हैं सीतापुर जनपद मुख्यालय से 40 किमी दूर नैमिषारण्य क्षेत्र के रुद्रावर्त नामक स्थान पर जो रुद्रेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता पर वैसे तो भगवान भोलेनाथ के पूरे देश भर में अनेकानेक तीर्थ स्थान हैं लेकिन शायद ही आपने भोले के किसी ऐसे स्थान के बारे में सुना होगा, जहां शिवलिंग किसी को दिखाई नहीं देता है। पौराणिक मान्यताओं की मानें तो सीतापुर के नैमिष क्षेत्र के रुद्रावर्त नामक स्थान पर गोमती नदी के किनारे बनें एक कुण्ड के अंदर स्थित शिवलिंग को बाबा रुद्रेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। वहीं कुण्ड के बाहर ही कुछ दूरी पर एक मंदिर भी है जिसमें भगवान शिव का रुद्र अवतार के रूप में शिवलिंग स्थापित है।
आखिर कैसे बढ़ी रुद्रावर्त स्थान की मान्यता
रुद्रावर्त की मान्यता इस वजह से और बढ़ जाती है की यहां एक निश्चित स्थान पर ही बेलपत्र जल के अंदर जाती है और इसके लिए भक्तों को सबसे पहले ॐ नमः शिवाय का नाम लेना होता है। रुद्रावर्त में बेलपत्र ही नहीं गाय के दूध को इस कुण्ड के जल में अंदर तक एक ही धार के साथ जाते हुए भी देखा जाता है। रुद्रावर्त में हैरान कर देने वाली तस्वीरें तब दिखाई देती है जब भगवान शिव को अर्पित किये गए फलों को जल में डालने पर कुछ चंद छड़ों में प्रसाद के रूप में उनमें से एक या दो फल वापस जल में ऊपर आकर तैरने लगते हैं, जिसको श्रद्धालु प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
इस तीर्थ स्थान पर वर्षों से पूजा अर्चना कर रहे महन्त बाबा विनोद दास जी की मानें तो किसी को ये ज्ञात नहीं की इस कुण्ड में शिवलिंग कितना अंदर है और न ही किसी ने देखा है। बाबा की मानें तो बचपन से ही वो मंदिर में बाबा रुद्रेश्वर महादेव की पूजा कर रहे हैं और उनके चमत्कारों को देखते आ रहे हैं। बाबा कहते हैं की इस अनोखे तीर्थ स्थल पर जिस किसी ने कुछ सच्चे मन से मांगा है, उसकी वो मुराद पूरी हुई है।
उत्तर प्रदेश से ही नहीं बल्कि भारत के कोने कोने से आते है लोग
वहाँ पर उपस्थित लोगो ने बताया कि बाबा रुद्रेश्वर महादेव के चमत्कारों को देखने के लिए सीतापुर या फिर उत्तर प्रदेश से ही नहीं समूचे देश से आने वाले लोगों का सिलसिला दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। *संदेश महल के जिला सवांददाता अनुज शुक्ल* द्वारा देखा गया कि इस चमत्कारिक तीर्थ स्थल पर उत्तर प्रदेश के ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों के लोग यहाँ श्रद्धा भाव से आते हैं और यहाँ जो भी आता हैं ॐ नमः शिवाय का जाप करते हुए बाबा रुद्रेश्वर महादेव की पूजा अर्चना कर। बेलपत्र, दूध व फल आदि अर्पित करते है।
नैमिषारण्य से 10 किलोमीटर दूर है रुद्रावर्त
रुद्रावर्त आने के लिए देश के प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक नैमिषारण्य तीर्थ स्थल आपको आना होगा। यहां से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर ही रुद्रावर्त में रुद्रेश्वर महादेव का तीर्थ स्थल मौजूद है। तीर्थ स्थल आने के लिए लोगों को नैमिष से सीतापुर हरदोई मुख्य मार्ग पर लगभग 5 किलोमीटर चलना होगा। इसी रास्ते पर एक स्थान से रुद्रावर्त के लिए करीब 5 किलोमीटर अंदर गांव को जाना होगा।
गोमती नदी के किनारे स्थित है रुद्रेश्वर महादेव का कुण्ड
ईश्वर ने अपने प्रमुख स्थलों को प्रकर्ति के आस-पास ही स्थित होने की पूरी कोशिश की है, जिसका प्रमाण भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों को याद करके ही मिल जाता है। कुछ इसी तरह बाबा रुद्रावर्त तीर्थ कुण्ड भी गंगा की संगिनी नदी गोमती के किनारे ही स्थित है। जिससे पौराणिक मान्यताओं को सही माना जा सकता है।
क्या कहते हैं श्रद्धालु
जब संदेश महल के जिला सवांददाता अनुज शुक्ल द्वारा रुद्रेश्वर महादेव के स्थान पर जाके देखा कि वहाँ पर उपस्थित जनपद लखीमपुर खीरी से आए मुनेन्द्र पाण्डेय जो अपने पूरे परिवार के साथ आये हुए थे जब उनसे इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमने जो सुना था वो सब सही निकला बेल पत्र और फल अर्पित किए लेकिन बेलपत्र तो डूब गई लेकिन पांच फलो में से दो फल प्रसाद के रूप में प्राप्त हुए हैं ये रुद्रेश्वर महादेव का चमत्कार है
संदेश महल की आंखों देखी
हमारे स्थानीय जिला संवाददाता श्री अनुज शुक्ल द्वारा सीतापुर से 40 किमी सफर तय करने के बाद हमारी टीम रुद्रावर्त नामक स्थान पर पहुंची जहां पर देखा की गोमती नदी के किनारे एक स्थान पर काफी भीड़ इकट्ठा हैं लोग फल ,दूध बेलपत्र लिए उस कुंड में अर्पित करते हैं जिसमे से बेलपत्र पानी मे डूब जाते हैं और कुछ फल भी और कुछ फल पुनः वापिस लौट आते हैं जो पानी मे तैरने लगते हैं । लेकिन इससे हमारा मन नही माना मैने भी पांच फल और कुछ बेलपत्र लिये और कुंड के जल में डाला तो बेल पत्र डूब गई और पांच फलो में से तीन फल डूब गए और दो वापस आ गये।जबकि उस स्थान से हटकर देखा तो बेलपत्र पानी मे तैरती ही रही।