गणेश चतुर्थी महत्व और विशेषताएं

रिपोर्ट/- रामकुमार मौर्य बाराबंकी संदेश महल समाचार

  • गणेश चतुर्थी हिंदुओं का एक विशेष त्यौहार है जिसे भगवान श्री गणेश के जन्मदिन के उपलक्ष्य के रूप में मनाते है। गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और गणेश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
    महाराष्ट्र में विशेष रूप से गणेश चतुर्थी महोत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है जो 10 दिनों तक चलता है। गणेश उत्सव के दौरान चतुर्थी के दिन महाराष्ट्र और भारत के अन्य हिस्सों में लोग अपने घरों में तथा कई सार्वजनिक स्थलों पर भगवान श्री गणेश के मूर्ति की स्थापना करते हैं और लगातार 10 दिनों तक अपने रीति-रिवाजों के साथ विधिवत उनकी पूजा अर्चना करते हैं।
    गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना के ठीक दसवें दिन अनंत चतुर्दशी तिथि को गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन कर दिया जाता है।आज गणेश चतुर्थी की तिथि है। इस स्थिति को सभी महिलाएं अपने बच्चों की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस बार संकष्टी चौथ मंगलवार को पङ रही है। इसलिए इसका महत्व और बढ़ गया ।यह त्यौहार हर वर्ष माघ महीने के चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इसमें विघ्न विनाशक भगवान गणेश की मां पार्वती के साथ पूजन अर्चन की जाती है। इस व्रत को करने से बल, बुद्धि की वृद्धि होती है ।तथा विघ्नों का विनाश होता है। इस बार यह तिथि 10 जनवरी 2023 दिन मंगलवार को दोपहर 12:09 पर प्रारंभ होगी और दूसरे दिन बुधवार को 2:31 पर समाप्त होगी ।पूजन की मुहूर्त शाम 6:00 से 7:30 तक सर्वोत्तम रहेगी। उसके बाद रात्रि में 8:41 पर चंद्रोदय के समय अर्ध देकर इसका समापन होगा। यह तिथि महीने में दो बार पड़ती है। पूरे वर्ष में 24 चतुर्थी होती हैं। लेकिन माघ मास की चतुर्थी का विशेष महत्व है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रहकर संकष्टी चतुर्थी का व्रत करती हैं। इसमें तिल के लड्डू बनाए जाते हैं। जो भगवान गणेश जी को भोग लगाकर प्रसाद के रूप में वितरण किया जाता है ।इस तिथि को बहुत सी महिलाएं गुड़ ,तिल ,लाई मिलाकर छागङ बांधती हैं ।इस व्रत को अपने पुत्र की दीर्घायु बल, बुद्धि आदि के लिए किया जाता है। इसके अलावा बहुत सी महिलाएं इस व्रत को संतान प्राप्ति के लिए भी करती हैं। जो महिलाएं भगवान गणेश जी की विधि विधान से पूजन अर्चन करती है ।भगवान गणेश जी उनके सभी विघ्न समाप्त कर देते हैं। क्योंकि भगवान गणेश विघ्न विनायक कहे जाते हैं। इसीतिथि को भगवान गणेश जी ने अपने माता-पिता की परिक्रमा की थी। इसलिए इस त्यौहार का महत्व और बढ़ गया।