तन मन सुंदर जीवन सुंदर हर घर का जीवन धन सुंदर हो जो नहीं। अधूरा घर होता बिटिया है तो कन कन सुंदर है बहुत प्यार दुलारी पापा की माता के प्रति बहु प्रीति भरी भाई प्रति सबसे सरल भाव अनुराग भावना रीति भरी घर के बाहर तक दुनिया में बेटियां धरा श्रंगार बनी बेटो से ज्यादा संवेदन से भरी सृष्टि आधार बनी घर के कण-कण में बेटी का हैदिव्य रूप उपहार भरा मानवता इस पर टिकी हुई संपूर्ण विश्व का आधार भरा सब छोड़ अकेले चल देती अनजान जगह अनजान राह किसने सोचा कितने समझा बेटी के अंदर भरा दाह इस घर पर चलकर उस घर में है स्वयं बनाती स्वर्ग धाम अपने दुख गम को भूल सदा पर सेवा रहता एक काम है नमन बेटियों का शत-शत जिस से फैला उजाला है अनुभूति अलौकिक दिव्य दृष्टि जो हर घर की मणि माला है यह देवी आगे चलकर के मां बनती बहने बन जाती इस सृष्टिसलोनी में देखो बिटिया तो छाती तन जाती नभ में थल में जल में अब तो बढ़ती जाती बेटी आगे पढ़ लिख शक्ति को पहचानें केवल विधि से इतना मांगे हैं दिव्य रूप दुर्गा मां का जो आकर्षक सुंदर ललाम भारत ही नहीं विश्व भर की हर बेटी को सादर प्रणाम