मनु शतरूपा की कथा सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रोता

सीतापुर महोली संवाददाता संदेश महल समाचार

ग्राम पंचायत बसारा के भूढना गांव में हो रही सात दिवसीय हो रुद्र महा यज्ञ में आज तीसरे दिन महाराज स्वायम्भुव मनु और उनकी पत्नी महारानी शतरूपा से मनुष्य जाति की इस अनुपम सृष्टि की रचना हुई। जब उन्हें शासन करते बहुत समय बीत गया और बुढ़ापा आ गया तो उन्हें चिंता हुई कि सारा जन्म हरि की भक्ति बिना ही बीत गया। पुत्र उत्तानपाद को राज्य सौंप दोनों ने प्रसिद्ध नैमीशारण्य तीर्थ की ओर गमन किया। वहां वह दोनों द्वादशाक्षर मंत्र ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करने लगे। उनके मन में एक ही लालसा थी कि प्रभु दर्शन हो जाएं। वह फलाहार करते और हरि का स्मरण करते। कुछ समय बाद वे श्री हरि के लिए कठोर तप करने लगे और फलों का त्याग कर केवल जल पर रहने लगे। मन में प्रभु को देखने की प्रबल अभिलाषा थी। मन सतरूपा की कथा सुनकर पूरा पंडाल भक्ति मय हो गया। प्रभु की जय जय कर होने लगी इस अवसर पर काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।