मासूमों का मोह छोड़ भाग निकली पत्नी जाति बंधन तोड़ परवान चढ़ा प्यार

रिपोर्ट/- जेपी रावत बाराबंकी संदेश महल समाचार

अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह हमेशा से रूढ़िवादियों के निशाने पर रहे हैं। हाल के समय में ये कट्टरता और बढ़ गई है। भारत में जाति और धर्म से बाहर शादी टकराव का कारण बनती रही है।समाज में इन्हें लेकर बहुत कम स्वीकृति देखने को मिलती है। गांव कस्बे हों या शहर,आज नौजवान पीढ़ी अपने मनचाहे साथी के लिए जाति,धर्म और दूसरे सामाजिक बंधन तोड़ रही है। जरूरत पड़ने पर ऐसे प्रेमी जोड़े घर परिवार छोड़ कर भाग भी रहे हैं।जाति हो या धर्म हो या फिर रुतबा, सभी पारंपरिक बेडि़यों को तोड़ते हुए आज नौजवानों का प्यार परवान चढ़ रहा है।
एक हालिया घटना का जिक्र करते हैं, जिसमे तो एक महिला ने हद ही पार कर दी,मामला जनपद बाराबंकी के थाना मोहम्मदपुर खाला के गांव जैसिंहपुर का है। जहां से सिक्ख समुदाय की एक महिला मुस्लिम समाज के युवक के साथ भाग निकली,मेरा जाति धर्म संप्रदाय से कोई तात्पर्य नहीं है। क्योंकि एक कहावत प्रचलित है-

गूरुप्रीत कौर, मासूम सुखमन,पति सत्यनाम सिंह

भूख न जाने बासी भात,प्यास न जाने धोबीघाट।।
नींद न जाने टुटी खाट,इश्क न जाने जाती कुजाति।

जब भी व्यक्ति किसी से प्रेम करता है तो वह उस से कुछ ना कुछ पाना चाहता है और यह अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग तरीके से यह बात फलीभूत हो सकती है।
जब हम किसी मां के लिए बात करेंगे तो वह अपने शिशु जो कि उसका अंश है उसकी बाल क्रीड़ा व उसके बड़े होने पर उसके द्वारा सपना को पूरा करने के लिए वह उसकी हरकतों से प्यार करती है इस में उसे आनंद मिलता है ।

माता-पिता भी अपनी संतान से इसलिए प्रेम करते हैं कि वह उनका नाम करेगा और बुढ़ापे में उनकी सेवा करेगा ।

इसी तरह अगर युवावस्था में बात करें तो प्रेमी और प्रेयसी एक दूसरे के शारीरिक प्रेम को प्राप्त करना चाहते हैं ।

अगर हम बात करें ईश्वर की और भक्तों की बात करे तो भक्त अपने प्रेम से ईश्वर को प्राप्त करना चाहता है ।

चाहे प्रेम किसी भी प्रकार का क्यों ना हो कहीं ना कहीं उसमें कुछ न कुछ पाने की इच्छा अवश्य होती है,

इसीलिए कहा गया है कि पाने को ही प्रेम करें जग कि यही है रीति

लेकिन कुछ पाने कि चाह में अनुचित करना यह आखिर कैसा प्यार है। अब सीधे मुद्दे की बात करते हैं। ज़िक्र था थाना मोहम्मदपुर खाला के जैसिंहपुर गांव की यहां बेचारे पति को आज भी इंतजार है कि उसकी पत्नी लौट कर वापस आयेगी। लेकिन यह संभव नहीं है। कहा भी गया है कि जाने वाले वापस लौटकर नहीं आतें हैं। यदि आना होता तो जाते ही क्यों?
दर्द उन मासूमों का है,जो मां की झलक का इंतजार कर रहे हैं। पिता सिर्फ झूठे आश्वासन की दिलाशा देकर हर रात सुला देता है। मां आयेगी। आखिर कब तक सपनों की दुनिया में डुबकी लगाते रहेंगे, कभी न कभी हकीकत सामने आकर खड़ी ही हो जायेगी। पति के अनुसार पति सत्यनाम सिंह का विवाह लगभग 14 वर्ष पूर्व गुरुप्रीति कौर के साथ हुआ था। जिससे बच्चों में गोलू सिंह,बब्बा,पोला, मुन्नू, गोरा, और सुखमन ने जन्म लिया। जिंदगी रफ्तार से गुजर रही थी। मामला 20 अक्टूबर 2022 की काली रात का है।जब गुरुप्रीति कौर गोरा और अपनी सात माह की अबोध बेटी के साथ फरार हो गई। पति ने स्थानीय पुलिस को नामजद लिखित तहरीर देकर मामले से अवगत कराया। जिसमे गुमसुदगी दर्ज की गई।

यहां से शुरू होती है गुरुप्रीति कौर की गैरजिम्मेदाराना मोहब्बत

पति ने बताया कि खेतों की सिंचाई के लिए कुछ विद्युत यंत्र लगे हुए,वह कभी न कभी खराब होते रहते हैं।जिसको बनाने के लिए लाइन मैन (बिजली मकैनिक) का सहारा लेना पड़ता था।इसी बीच स्थानीय थाना क्षेत्र के ग्राम रायपुर निवासी बिजली मकैनिक मोहम्मद नसीर मेरे सम्पर्क में आया और काम को लेकर अक्सर घर आना जाना शुरू हो गया।इसी बीच मेरी पत्नी गुरु प्रीत कौर और मोहम्मद नसीर के बीच मोहब्बत का बीज कब अंकुरित हुआ पता नहीं चल सका। जबकि मोहम्मद नसीर के बीबी बच्चे सभी कुछ है। जो मेरी पत्नी के साथ 20 अक्टूबर 2022 को गोरा और 9 माह की सुखमन को लेकर नगदी जेवरात और कपड़ों को लेकर भाग निकली। घटना को लेकर पुलिस प्रशासन की दहलीज के चक्कर काटते काटते थक सा गया हूं। कोई सुनने वाला नहीं है।सिर्फ़ गुमसुदगी के बाद किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई जबकि आरोप नामजद लगाया गया था।