अपने ही सच को छुपाती है..शादीशुदा औरतें

मैंने देखा है आधी उम्र की शादीशुदा औरतों को
झूठी मुस्कुराहट से लदी तस्वीरे लगाती
अपने ही सच को छुपाती हुई…..

ससुराल औऱ मायके की
उम्मीदों का बोझ ढोती हुई
रिश्तों के जाल में उलझी
जिम्मेदारी से बंधी हुई…….

थोपे हुए या गलत लिए फैसलों की
सजा से बाहर निकलकर
खुल के जीना चाहती हैं
कुछ पल अपने लिए
समेट लेना चाहती हैं

अपनी ख्वाहिशों के खालीपन को
भरना चाहती हैं
किसी को अपनेपन से लिपटकर
जी भर के रोना चाहती हैं

चाहती है किसी रिश्ते से बंधे बगैर
कोई हो..दोस्त से बढ़कर और प्रेमी से कुछ कम
उदासियों का हमसफर हो ..दर्द का साझेदार..
तकलीफ में हौसला बने और
तन्हाई में दिल का सुकून और करार

फिर…
मर्यादा की बेड़ियां और
लाँछन का डर रोक देता है
बढ़ते हुए कदमो को
पिंजरे में कैद पंछी की तरह

साभार फेसबुक