प्रस्तुतकर्ता – संदेश महल
कल जब अंतरंग पलों में तुम पलट कर सो गए
मैं बहुत आहत हुई यह सोचकर कि
अब मैं तुम्हें अच्छी नहीं लगती।
लेकिन दूसरे ही दिन जब तुमने कहा
आज भी तुम गजब ढ़ाती हो,
मैं सब कुछ भूल गई।
जब कभी तुमने सबके सामने मुझे जोर से
डांट दिया तो मैं आहत हुई।
लेकिन थोड़ी ही देर बाद जब तुमने मुझे
ढेर सारा प्यार किया तो मैं सब भूल गई।
जब मैंने अकेले कहीं जाने की चाहत की
और तुमने मुझे नहीं रोका तो भी मैं आहत हुई।
लेकिन जब तुमने भीगी आंखों से मुझसे कहा तुम्हारे बिना बिल्कुल मन नहीं लगता तो मैं सब भूल गई।
जब कभी हमारी बहस होने पर तुमने कुछ
ताने मुझे दे दिये तो मैं आहत हुई।
लेकिन दूसरे ही पल तुम्हारा अपने हाथों से
मनुहार करके मुझे खाना खिलाना
मैं सब कुछ भूल गई ।
जब कभी मैं बीमार हुई और तुम मुझ पर
झुंझलाये मैं बहुत आहत हुई।
लेकिन सुबह की चाय से लेकर रात की दवा
तक जब तुमने मेरा खयाल रखा तो
मैं सब कुछ भूल गई ।
जब कभी किसी ने मुझे कुछ कह दिया
और तुमने कुछ नहीं कहा
मैं बहुत आहत हुई।
लेकिन दूसरे ही पल जब तुमने आगे बढ़कर
मुझे गले लगा लिया मैं सब कुछ भूल गई ।
जब कभी माँ की याद आई मैं आहत हूई ।
लेकिन जैसे ही तुमने मेरे सर पर हाथ फिराया
मैं सब कुछ भूल गई ।
जब कभी मैने कुछ कहना चाहा
तुम्हारी आँखों ने मुझे रोक दिया
तो मैं आहत हुई ।
___लेकिन…!!
मेरे कहे बिना ही जब वो सब तुमने कर दिखाया
तो मैं सब कुछ भूल गयी ।
हम औरतें ऐसी ही होती हैं।
कई चीजों में हम हमारा विरोध चाहती हैं
ताकि हम यह महसूस कर सके की
उन्हें हमारी हर पल कितनी जरूरत है
और यह खुशी हमें बिखरने से बचा लेती हैं।
साभार फेसबुक