मेरा जन्म ही संघर्ष और संकल्प की बुनियाद पर हुआ- “संदेश महल”

मैं “संदेश महल” हूं ?4 साल पूरे करके 5 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा हूं।उम्र की लिहाज से यह मेरा अमृत महोत्सव है।मेरा जन्म उत्तर प्रदेश के जनपद बाराबंकी के विकास खंड सूरतगंज अंतर्गत ग्राम पंचायत रूहेरा के मजरा ग्राम बिबियापुर में हुआ था।आज स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर जन्म से लेकर आज तक अपने सफर पर नजर डालते हुए यह कहने में जरा से भी गुरेज नहीं है कि 14 जून से साप्ताहिक के सफर के साथ संदेश महल दैनिक व मासिक पत्रिका के प्रकाशन का संकल्प बदस्तूर जारी है। साथ ही न्यूज पोर्टल एवं यू ट्यूब चैनल भी गतिशील है।
इस दौरान कदम लड़खड़ाते रहे। हताशा और निराशा का सामना करना पड़ा।इस परीक्षा की घड़ी में सीतापुर और बाराबंकी शहर ने और यहां के लोगों ने तिनके के मानिंद सहारा बन पतवार की भांति कदमताल से जुड़े रहे।इसी मोहब्बत के चलते मैं सीतापुर और बाराबंकी की आवाज बनता रहा। यह बात मुझे गर्व की अनुभूति देती है कि मैं विश्व के अद्वितीय वृक्ष पारिजात व भगवान बारह’ के पुनर्जन्म की पावन भूमि के शहर का हमसफर हूं। जिसे
पूर्वांचल के प्रवेश द्वार के रूप में भी जाना जाता है।
स्थापना के वर्ष से लेकर आज तक हर दिन मेरे लिए नया दिन रहा। हर दिन नई सुर्खियां बनी। “संदेश महल” शहर की आवाज बना। मैंने एक सपना देखा था। और संकल्प था।शहर की आवाज बुलंद करने के लिए अखबार निकालेंगे। कठिन झंझावातों के बाद संकल्प साकार हुआ और मैं आपके सामने हिंदी दैनिक, हिंदी साप्ताहिक, हिंदी मासिक पत्रिका, न्यूज पोर्टल यू ट्यूब चैनल के रूप में “संदेश महल” प्रस्तुत हुआ। एक सच यह भी है कि मेरा जन्म ही संघर्ष और संकल्प की बुनियाद पर हुआ है। मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी पाठकों के साथ चला।दर्द का साथी और साक्षी बना। इसी संघर्ष से मुझमें संघर्ष का जज्बा पैदा हुआ। नतीजा यह हुआ कि मुद्दे उठाए और उन्हें अंजाम तक पहुंचाने की सार्थक कोशिश की।
मैं हर कदम आपके साथ और आपकी आवाज बना।मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि सच और विश्वास की यह मशाल जलती रहेगी।
संकल्प को लेकर कवि रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियां मुझे प्रेरित करती हैं….?

बाग ही होते विचारों के नहीं केवल
स्वप्न के हाथ में भी तलवार होती
संपादक
जयप्रकाश रावत