
जेपी रावत
संदेश महल समाचार
यूपी एस सी भारत देश की सबसे कठिन परीक्षा है। जो हर कोई पास नहीं कर पाता।लाखो की संख्या में आवेदन भरे जाते है।यूपी एस सी सिर्फ एक परीक्षा ही नहीं लोगो के लिए भावना है। जिसे लोग संजों कर अपने दिल और दिमाग में रखते है। आज बात करते हैं एक ऐसे होनहार की जिसने जिंदगी की तमाम झंझावतों को झेलकर गांव ही नहीं अपितु देश का नाम रौशन किया है। बात करते हैं उत्तर प्रदेश की राजधानी के समीपवर्ती जिला लखीमपुर-खीरी के नवगांतुक जिलाधिकारी महेंद्र बहादुर सिंह की। किसी शायर का कलाम है कि……..
पसीने की स्याही से जो लिखते हैं इरादें,
उसके मुक्कद्दर के सफ़ेद पन्ने कभी कोरे नही होते
उक्त पंक्तियां लखीमपुर-खीरी डीएम महेंद्र बहादुर सिंह पर सटीक बैठ रही है।

कहानी शुरु होती है सुजानीपुर गांव से जहां महेंद्र बहादुर सिंह का जन्म हुआ था,यह गांव उत्तर प्रदेश के जिला फतेहपुर में स्थित है। आपके पिता चकबंदी विभाग में क्लर्क थे। सही मायने सफलता के पीछे आपके पिता का ही हांथ है। बताया जा रहा है कि पिताजी सुबह ड्यूटी पर जाने से पहले खाना बना लेते थे। और महेंद्र को तैयार करके स्कूल भेजते थे। मां तीन भाइयों के साथ गांव में रहती थीं। आप भाइयों में चौथे नंबर पर है। आपके पिताजी जूनियर क्लासेस तक नोट्स भी तैयार करवाते थे। पढ़ाई में डिस्टर्ब न हो,इसके लिए कभी काम में हाथ बंटाने के लिए नहीं कहते थे। पढ़ाई के लिए पिताजी फतेहपुर शहर में किराए का मकान लेकर रहने लगे। वहां शहर के एक अच्छे स्कूल में दाखिला करवा दिया गया। मिड टर्म में एडमिशन फतेहपुर के एक प्राइवेट स्कूल में हुआ। एडमिशन तो हो गया, लेकिन दो महीने बाद हुए हाफ ईयरली एग्जाम में रिजल्ट बेहद खराब रहा। 6 में से 5 सब्जेक्ट्स में फेल हो गये। उसी दौर में महेंद्र घर आकर बहुत रोये तब पापा ने समझाया कि तुम मेहनत करो, सब अच्छा होगा। उसी साल फाइनल एग्जाम में क्लास में सेकंड पोजिशन हासिल की। उसके बाद हर एग्जाम में टॉपर बनने लगे।जिंदगी के इस मोड़ ने महेंद्र की लाइफ बदल दी और आई ए एस तक का सफर तय किया।

पिता जी का सपना हुआ पूरा हुआ
डीएम महेंद्र बहादुर सिंह के अनुसार 12 वीं के बाद मैंने आई आईटी एंट्रेंस एग्जाम दिया था, लेकिन उसमें पास नहीं हुआ।मेरा सिलेक्शन यूपीटीयू में हुआ था,जहां से मैंने बीटेक की डिग्री हासिल की। मैं इंजीनियरिंग खत्म होते ही सिविल सर्विसेज की तैयारी में लग गया था। इस दौरान मेरी कई कंपनियों में जॉब भी लगी, लेकिन मेरा फोकस IAS ही था। मैंने 2010 में यूपीएससी एग्जाम दिया और तीसरे अटैम्प्ट में क्लीयर हो गया। पिता जी का सपना भी था, जो कि पूरा हुआ। इसके पूर्व बांदा,व रामपुर में डीएम का पद संभाल चुके हैं। डीएम रहने के दौरान जनसुनवाई और उसके निस्तारण में उनका काम इतना बेहतरीन रहा कि उन्हें यूपी सरकार ने सम्मानित किया था। किसी शायर की चंद पंक्तियां आपके चुनौती और संघर्ष भरे जीवन की सार्थकता पर एक संदेश दे रही है।
मेरी मंजिल मेरा हौंसला देख कर…
डर मुझे भी लगा फासला देख कर,
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर,
खुद ब खुद मेरे नजदीक आती गई,
मेरी मंजिल मेरा हौंसला देख कर
आईएएस अधिकारी,महेंद्र बहादुर सिंह,डीएम मैनपुरी के पद पर तैनात थे। लखीमपुर-खीरी में तिकुनिया कांड और भीषण बाढ़ की विभीषिका के वजह से इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है।प्रदेश सरकार ने तबादलों में बड़ा फेरबदल किया है। शासन ने डॉ. अरविंद कुमार चौरसिया की जगह महेंद्र बहादुर सिंह को लखीमपुर-खीरी का नया डीएम बनाया है। इससे पहले महेंद्र बहादुर सिंह डीएम मैनपुरी के पद पर तैनात रहे।
डीएम महेंद्र बहादुर सिंह का बयान
डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि जहां तक उन्हें जानकारी है जिले में कई मुद्दे एक साथ चल रहे हैं,लेकिन अभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बेहतर राहत बचाव ही उनकी प्राथमिकता में है। उन्होंने बताया कि बाढ़ पीड़ितों को हर सरकारी मदद पहुुंचे,इसके लिए वह हर व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। क्षेत्र और जिले की समझ और जानकारी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इससे पहले 2013-14 में लखीमपुर-खीरी के सीमावर्ती जनपद सीतापुर में जॉइंट मजिस्ट्रेट रह चुके हैं।
डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने शुक्रवार की शाम जिला कोषागार में ग्रहण किया पदभार
डीएम महेंद्र बहादुर सिंह के लखीमपुर-खीरी पहुंचने पर सीडीओ अनिल कुमार सिंह, एडीएम संजय कुमार सिंह समेत जिलास्तरीय अधिकारियों और एसडीएम ने पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया।
चार्ज संभालने से पहले डीएम ने कलक्ट्रेट स्थित पीडब्ल्यूडी के निरीक्षण भवन में अधिकारियों-कर्मचारियों का परिचय प्राप्त किया। डीएम ने कहा है कि सभी विभागों के अधिकारी/कर्मचारी टीम भावना से काम करते हुए जन कल्याणकारी योजनाओं से जनता को लाभान्वित करें। डीएम ने करीब डेढ़ घंटे तक सीडीओ,सीएमओ,एडीएम व एसडीएम के साथ बैठक की। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी अधिकारी सुबह 9:45 पर अपने कार्यालय अवश्य पहुंचकर जनसुनवाई करें। यह शासन की शीर्ष प्राथमिकता है। बाढ़ की समीक्षा में निर्देश दिए कि प्रत्येक प्रभावित परिवारों को अनुमन्य सहायता राशि तत्परता से उपलब्ध कराई जाए। कोई भी प्रभावित परिवार किसी भी दशा में सहायता से वंचित न रहने पाए।धान खरीद में पारदर्शिता बरतने के आवश्यक निर्देश दिए हैं।