भागवत कथा से भक्त में सदगुणों का विकास होता है आचार्य धरणीधर महाराज

 

रिपोर्ट
विनोद कुमार दूबे
संतकबीरनगर संदेश महल समाचार

जनपद के विकास खण्ड नाथनगर के अंतर्गत अजांव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में अयोध्या धाम से आए कथा प्रवक्ता आचार्य धरणीधर महाराज ने कहा समुद्र मंथन से तो एक बार में केवल चौदह रत्न मिले थे पर आत्ममंथन से तो मनुष्य को परमात्मा की प्राप्ति होती है। जो हरि का दास है वह सुख दुख से परे होकर हमेशा परमानंद की स्थिति में रहता है इस का उत्तर यही है कि भगवान संसार से जुड़े भी हैं और अलग भी हैं। आकाश में बादल रहता है। और बादल के अंदर भी आकाश तत्व है। बादल के गायब होने पर भी आकाश गायब नहीं होता। इसी तरह संसार गायब होने पर भी परमात्मा गायब नहीं होते। संसार की कोई भी वस्तु भगवान से अलग नहीं है।

कथा रसपान करते श्रद्धालु

आचार्य धरणीधर ने कहा मुनि गण तथा सिद्धेश्वर नाना स्तोत्र तथा नाना गुणों से जिन को प्रसन्न करने में समर्थ ना हो सके उन भगवान को साधारण जीव मैं कैसे प्रसन्न कर सकता हूं धन,रूप,तप, विद्या, बल, पौरुष, आदि गुण परम पुरुष आप को प्रसन्न करने में समर्थ नहीं हो सकते।आप तो केवल भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं।सभी भक्तों ने बड़े धूम धाय से भगवान बाल कृष्ण लाल का जन्म महोत्सव मनाया इस अवसर पर श्रीमद् भागवत कथा के मुख्य यजमान मुख्य यजमान मालती देवी, रमेश दुबे, चन्द्र भूषण पाण्डेय,विंध्याचल ओझा,अखिलेश दुबे,रामनौकर दुबे,राम-लखन दुबे,पारस तिवारी,अमर चन्द्र ओझा,विजय ओझा,दीनानाथ ओझा,नरेंद्र ओझा नेताजी डा हरिश्चन्द्र पांडेय, इन्दमणि पांडेय, रामदरश यादव, राकेश यादव आदि लोग मौजूद रहेे।

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