- अभिलेखों में हेराफेरी कर प्रोन्नति पाने का है मामला
- नगरपंचायत किशनी घोटालों तथा हेराफेरी में रही है चर्चित
किशनी/मैनपुरी- बिना काम कराये पैसे निकालने में, कमीशनखोरी, गौशाला में गडबडी तथा कई प्रकार की धांधली में नगरपंचायत हमेशा सुखिर्यों में रही है।अभिलेखों में हेराफेरी कर प्रोन्निति पाने में भी नगर पंचायत किशनी ने अपना नाम कमाया है। येसे ही एक मामले में पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर तत्कालीन ईओ व लिपिक तथा मौजूदा लिपिक के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज किया है।
कस्बा निवासी सिपाहीराम यादव पुत्र कालीचरण ने कोर्ट में शिकायत की थी कि तत्कालीन ईओ दुर्गेश कुमार ने लिपिक सलिल दुबे से मिलकर फर्जी प्रस्ताव कर सफाईकर्मी दिनेश कुमार को लिपिक के पद पर प्रोन्नत कर दिया। बताया गया कि न0पं0 कार्यालय में 30 नवम्बर 2018 को बैठक की गई थी। इसमें कुल 23 प्रस्ताव पारित किये गये थे। उक्त प्रस्तावों में इक्कीसवें प्रस्ताव के बाद जानबूझ कर कार्यवाही रजिस्टर में कुछ जगह छोड दी गई थी। तदोपरान्त उसी प्रस्ताव में इक्कीसवें प्रस्ताव के बाद बाइसवां प्रस्ताव बढा दिया गया। साथ ही बाइसवें प्रस्ताव को तेईस तथा तेईसवें प्रस्ताव को चौबीसवां प्रस्ताव ओवर राइटिंग कर बनाया गया। उक्त प्रस्ताव में सफाईकर्मी दिनेश कुमार को फर्जी प्रस्ताव लिख कर लिपिक पद पर नियुक्ति कर दी गई। आरोप है कि उक्त प्रकरण में तत्कालीन ईओ तथा लिपिक सलिल दुबे ने समस्त सभासदों को गुमराह किया और चेयरमैन के फर्जी हस्ताक्षर बनाये गये। बताया गया कि अध्यक्ष हमेशा अंग्रेजी में साइन करता है। पर उक्त प्रस्ताव में उसका पूरा नाम हिन्दी में लिखा गया ताकि फर्जी प्रस्ताव को जायज ठहराया जा सके। इस सम्बन्ध में शिकायतकर्ता सिपाहीराम यादव ने निदेशक स्थानीय निकाय लखनऊ, डीएम, प्रमुख सचिव शासन, मुख्यमंत्री, आयुक्त आगरा मण्डल, सम्पूर्ण समाधान दिवस, एडीएम मैनपुरी को कई पत्र लिखे पर शासन अथवा प्रशासन स्तर पर उक्त धांधली और भृष्टाचार पर कभी कोई कार्यवाही नहीं की गई। अंत में शिकायतकर्ता ने न्यायालय की शरण ली। न्यायालय ने थाना पुलिस को उक्त तीनों के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज करने का आदेश दिया। पुलिस ने धेखाधडी, अभिलेखों में कूट रचना कर दस्तावेज तैयार कर उपयोग में लाने की धाराओं में मुकद्दमा दर्ज कर लिया है।
नगरपंचायत किशनी में पिछली कई सालों से घोटाले तथा फर्जी धन निकासी की शिकायतें होती रहीं है। पर उच्चाधिकारियों ने कभी भी किसी शिकायत को गम्भीरता से नहीं लिया। यहां अम्बेडकर स्थल को पार्क दर्शा कर सुन्दरीकरण के नाम चार लाख निकालने का प्रयास किया गया। पर प्रशासन ने कोई कार्यवाही नहीं की। सरकारी धन की जमकर लूट की गई। सभासदों ने एक राय होकर शिकायत की पर सारी शिकायतें अधिकारियों की टेबिल पर पडी दम तोड गई। शमर्नाक बात यह कि जनता द्वारा चुने गये सभासदों की आबाज को भी अनसुना किया गया। यह भृष्टाचार की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या है। पिछले चार वर्षों में कोई जनहित का बडा कार्य नहीं हुआ। वल्कि पूर्व के चेयरमैन द्वारा अधूरे छोडे गये बारातघरों में दरबाजे और खिडकियां तक नहीं लगाई गई। लोग चीखते पुकारते रहे पर नगरपंचायत के सर्वेसर्वा लूटखसोट में लगे रहे। कुछ इंटरलाॅकिंग सडकें बनीं पर उनमें इतनी घटिया सामग्री लगाई गई कि एक वर्ष में धराशाई होगई। उक्त मामले में भी यदि शिकायतकर्ता ने कोर्ट की शरण न ली होती तो कुछ भी न होता। मुकद्दमा दर्ज होजाने के बाद कस्बे में आम चचार् है कि आखिर एक सफाई कर्मी को फर्जी तौर पर प्रोन्नत कर लिपिक बनाने का काम कोई यूं ही नहीं कर सकता है। लोगों का मानना है कि यदि इसकी सही जांच हो जाय तो पैसों के लेनदेन का बडा मामला सामने आ सकता है।