महाशिवरात्रि पर्व पर संदेश महल की खास पेशकश- संवाददाता अनुज शुक्ला
रुद्रावर्त गोमती नदी में समां जाते हैं- बेलपत्र श्रद्धालु आस्था तो वैज्ञानिक मानते चमत्कार
रहस्य और रोमांच से भरा है सीतापुर का रुद्रावर्त तीर्थ यह एक प्राचीन स्थान है,यहां प्रतिदिन देश के अलग-अलग स्थानों से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन और पूजन करने के लिए आते हैं।नैमिषारण्य में रुद्रावर्त तीर्थ करने का अपना ही महत्व है। नैमिषारण्य की तपस्थली शिव के चमत्कारों की धरती है।इस तपोवन की भूमि पर कई पौराणिक शिवालय स्थापित हैं। नैमिषारण्य 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि है।यहां पर गोमती नदी के तट पर स्थित प्राचीन शिव स्थान को रुद्रावर्त तीर्थ के नाम से जाना जाता है।
नैमिषारण्य तपोभूमि पर स्थित है रुद्रावर्त तीर्थ
आदि गंगा गोमती नदी के किनारे पर नदी के अंदर एक शिवलिंग स्थापित है। शिवलिंग पर ओम नम: शिवाय के उच्चारण के साथ बेल पत्र, दूध, फल और जल अर्पित करने पर वह सीधा जल में समा जाता है. इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए देश के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं। श्रद्धालु इस कृत्य को देखकर अपने जीवन को धन्य समझते हैं। स्थानीय लोग और मंदिर के पुजारी का कहना है कि इस स्थान का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है।
नदी के किनारे शिव मंदिर भी स्थापित है
जल में डूब जाता है बेल पत्र
मान्यता है कि कभी इस स्थान पर पौराणिक शिव मंदिर था।कालांतर में वह मंदिर आदि गंगा गोमती में समा गया। मंदिर का अवशेष नदी में पानी कम होने पर दिखाई देता है। बताया जाता है कि उसी स्थान पर नदी के अंदर शिवलिंग स्थापित है।लोग अब इस पवित्र स्थान को रुद्रावर्त तीर्थ के नाम से जानते हैं। गोमती नदी में दूध, बेल पत्र और फल अर्पित करने पर शिवलिंग इसे स्वीकार कर लेता है। बताया जाता है कि इस विशेष स्थान के अलावा और कहीं पर बेल पत्र डालने पर वह जल के अंदर नहीं समाती, बल्कि तैरती रहती
संदेश महल के जिला सवांददाता अनुज शुक्ल द्वारा देखा गया कि इस चमत्कारिक तीर्थ स्थल पर उत्तर प्रदेश के ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों के लोग यहाँ श्रद्धा भाव से आते हैं और यहाँ जो भी आता हैं ॐ नमः शिवाय का जाप करते हुए बाबा रुद्रेश्वर महादेव की पूजा अर्चना कर। बेलपत्र, दूध व फल आदि अर्पित करते है।
मार्ग
नैमिषारण्य से 10 किलोमीटर दूर है रुद्रावर्त रुद्रावर्त आने के लिए देश के प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक नैमिषारण्य तीर्थ स्थल आपको आना होगा। यहां से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर ही रुद्रावर्त में रुद्रेश्वर महादेव का तीर्थ स्थल मौजूद है। तीर्थ स्थल आने के लिए लोगों को नैमिष से सीतापुर हरदोई मुख्य मार्ग पर लगभग 5 किलोमीटर चलना होगा। इसी रास्ते पर एक स्थान से रुद्रावर्त के लिए करीब 5 किलोमीटर अंदर गांव को जाना होगा।
गोमती नदी के किनारे स्थित है रुद्रेश्वर महादेव कुण्ड
ईश्वर ने अपने प्रमुख स्थलों को प्रकर्ति के आस-पास ही स्थित होने की पूरी कोशिश की है, जिसका प्रमाण भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों को याद करके ही मिल जाता है। कुछ इसी तरह बाबा रुद्रावर्त तीर्थ कुण्ड भी गंगा की संगिनी नदी गोमती के किनारे ही स्थित है।