प्रयागराज सामाजिक समरसता अखंडता मान्यताओं के प्रति दर्शाता अगाध श्रद्धा

अशोक अवस्थी
संदेश महल समाचार

समूचे विश्व में अयोध्या काशी मथुरा नैमिषारण्य और प्रयागराज यूं ही नहीं प्रसिद्ध है इन तीर्थ स्थलों में सकारात्मक ऊर्जा सामाजिक समरसता एकता अखंडता के साथ अपनी प्राचीन मान्यताओं के प्रति अगाध श्रद्धा को दर्शाते हैं।यहां जिक्र हो रहा है तीर्थराज प्रयाग का जो तीर्थ स्थलों का राजा माना जाता है तथा विश्व प्रसिद्ध है कुंभ मेला का स्थल भी है। प्रयागराज में अंतर्वेदी मध्य वैदी तथा बहिर वेदी तीन वेदियां हैं जहां देवता और सप्त ऋषि निवास करते हैं यह वेदियां पंचकोशी परिक्रमा के प्रसिद्धि स्थल माने जाते हैं।अक्षय वट अनादि काल से विद्यमान है जिसका कभी विनाश नहीं होता विष्णु भगवान माधव के नाम से विख्यात हैं यह आठों दिशा में 8 नामों से रहते हैं शंख चक्र गदा पदम अनंत बिंदु मनोहर और असि माधव 8 रूपों में विद्यमान रह कर दैवीय शक्तियों का संचार करते हैं।महाभारत के आदि पर्व में प्रयागराज को सोम वरुण और प्रजापति का जन्म स्थान माना गया है वन पर्व में कहा गया है प्रयागराज में सभी तीर्थों देवों तथा ऋषि-मुनियों का निवास है यहां पर बड़े-बड़े देवताओं और महान आत्माओं में यज्ञ किया है ब्रह्मा ने स्वयं इस स्थल पर यज्ञों का संपादन किया था इसलिए यह प्रयागराज के नाम से प्रसिद्ध हुआ।प्रयागराज का स्मरण यदि पवित्र अंतः करण से लिया जाए तो मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं उसकी समस्त कामनाएं पूरी होती हैं। गंगा जमुना सरस्वती के मिलन स्थल के विषय में ब्रह्म पुराण स्कंद पुराण अग्नि पुराण कूर्म पुराण मत्स्य पुराण और श्रीमद्भागवत जैसे धार्मिक ग्रंथों में और पुराणों में इसके महत्व का सविस्तार वर्णन है ब्रह्म पुराण में कहा गया है माघ मास में तीर्थराज प्रयाग में स्नान करने के अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है प्रयागराज का प्रसिद्ध किला अकबर बादशाह ने प्रारंभ किया था 1583 ईस्वी में इसकी नींव रखी थी इसके बनने में 45 वर्ष पांच माह तथा 10 दिन लगे थे मुगल अंग्रेज शासकों से लेकर आज तक यह किला अपने में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

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